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जीतना ।" जहां तक निरसन शब्द के अर्थ का प्रश्न है उसका प्रचलित अर्थ 'निकालना' एवं 'दूर करना है किन्तु संस्कृतहिन्दीकोश के अनुसार इसके निम्न अनेक अर्थ हैं निकालना, प्रक्षेपन, हटाना, दूर करना, उद्वमन, उन्मूलन, निष्कासन, रोकना, दबाना, विनाश आदि । 2
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इस प्रकार कोश के अनुसार दमन एवं निरसन शब्द किसी सीमा तक समानार्थक प्रतीत होते हैं तो फिर क्या उपर्युक्त प्रश्न निराधार है ? नहीं, इस प्रश्न का आधार है इनका वर्तमान में प्रचलित मनोवैज्ञानिक अर्थ ।
आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार दमन में वासना एवं नैतिकमन में संघर्ष चलता रहता है और जहां संघर्ष है वहां शान्ति कैसे ?
जैन शब्दावली में हम इसे उपशम की अवस्था कह सकते हैं। यह एक प्रकार की निरोध की स्थिति होती है; जैसे आते हुए गुस्से को पी जाना । किन्तु महत्त्व की बात तो यह है महावीर की साधना दमनमूलक नहीं प्रज्ञामूलक है अतः जैनागम में प्रयुक्त दमन शब्द भी निरसन का ही प्रतीक है।
उत्तराध्ययन सूत्र के प्रथम अध्ययन में स्पष्टतः कहा गया है कि संयम एवं तप के द्वारा दमन करना चाहिये। इसे ही अधिक स्पष्ट करते हुए टीकाकार शान्त्याचार्य ने दमन का अर्थ विवेक द्वारा वासनाओं का उपशमन किया है 184 इस प्रकार यहां दमन बलपूर्वक नहीं वरन् विवेक एवं संयम के द्वारा करने के लिये कहा गया है। बलपूर्वक दमन एवं विवेकपूर्वक दमन में महान अन्तर है। बल पूर्वक दमन में विचलन या विस्फोट की निसंदेह सम्भावना रहती है जबकि विवेकपूर्ण दमन आध्यात्मिक विकास में अत्यन्त सहायक होता है। उसमें कहीं कोई विचलन की सम्भावना नहीं रहती है।
• एक बच्चे को जब अग्नि के पास जाने के लिये बलपूर्वक रोका जाता हैं तो ऐसी स्थिति में उस बच्चे के अग्नि के पास जाने की सम्भावना बनी रहती है किन्तु बच्चे का यह विवेक जागृत हो जाय कि अग्नि जलाती है, अहितकारी है तो फिर वह स्वतः उसके पास जाने से रूक जाता है; फिर कभी भी उसकी अग्नि के पास जाने की सम्भावना नहीं रहती ।
संस्कृतहिन्दीकोश पृष्ठ ४८८ २ संस्कृतहिन्दीकोश पृष्ठ ५३५ । उत्तराध्ययनसूत्र १ / १६
१४ उत्तराध्ययनसूत्र टीका पत्र - ५२
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(शान्त्याचार्य) ।
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