SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 502
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (४) अभ्यंगनविधि : मालिश हेतु काम आने वाले तेलों की संख्या एवं मात्रा निश्चित करना। (५) उद्ववर्तन विधि : शरीर पर लगाने वाले उबटन आदि का परिमाण करना। (६) स्नान विधि : स्नान के लिये जल की मर्यादा निर्धारित करना। (७) वस्त्र विधि : वस्त्रों के प्रकार तथा संख्या निश्चित करना। (५) विलेपन विधि : शरीर पर लेप करने वाले द्रव्य जैसे चंदन, अगर आदि की सीमा निर्धारित करना। (६) पुष्प विधि : पुष्प के प्रकार एवं संख्या का निर्धारण। (१०) आभरण विधि . : आभूषणों के प्रकार एवं सख्या की सीमा निश्चित करना। (११) धूप विधि : अगरबत्ती आदि धूपनीय सामग्री को सीमित करना। (१२) भोजन विधि : भोजन विधि के अन्तर्गत निम्न दस प्रकार से अन्नपानादि की मर्यार्दी का निर्धारण किया गया है - - १... पेय विधि : शर्बत आदि। २. भक्ष्य विधि : पकवान, मिष्ठान्न आदि। ३. . . ओदनविधि : चावल, खिचड़ी आदि। : '४. सूप विधि : चना, मूंग, उड़द आदि की दाल । ५. घृत विधि : घृत, दूध, दही आदि विगय।। ६, शाक विधि : बथुआ, ककड़ी आदि साग-सब्जी। ७. . . माधुरक विधि : मधुर रसीले फल, पालक का रस। ८. . जेमण विधि : दही बड़े, पकौड़े आदि चटपटे पदार्थ। ६. पानी विधि - नदी, कुए, जल आदि का पानी। १०. मुखवास विधि : पान, सुपारी, सौंफ, पापड़ आदि। श्रावक प्रतिक्रमणसूत्र में द्रव्य परिमाण की संख्या छब्बीस बताई गई है जिसमें २१ तो उपर्युक्त ही है तथा पांच निम्न हैं (१) वाहन : बस, ट्रेन, टेक्सी, स्कूटर आदि वाहनों का परिमाण । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004235
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinitpragnashreeji
PublisherChandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages682
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy