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४. अतिभार :
प्राणियों पर उनकी शक्ति से अधिक भार डालना तथा किसी प्राणी की शक्ति से अधिक उससे कार्य करवाना अतिभार अतिचार है । यह भी श्रावक के लिये निषिद्ध है।
५. अन्न पान निरोध :
आश्रित प्राणियों को समय पर भोजन नहीं देना एवं नौकर आदि को समय पर वेतन नहीं देना भी इस अतिचार के अन्तर्गत माना जाता है । अतः श्रावक के लिये यह दोष माना गया है।
. २. सत्य अणुव्रत - यह श्रावक का द्वितीय अणुव्रत है; इसका अपर नाम 'स्थूलमृषावादविरमणव्रत' है। आचार्य हेमचन्द्र ने स्थूल मृषावाद या स्थूल असत्य वचन के पांच प्रकार बतलाये हैं।24 वर, कन्या, पशु एवं भूमि संबंधी असत्य भाषण करना, झूठी गवाही देना तथा झूठे दस्तावेज़ तैयार करना श्रावक के लिये निषिद्ध कर्म है। सत्य अणुव्रत के पांच अतिचार .. उपासकदशांगसूत्र में सत्य अणुव्रत के निम्न पाच अतिचार प्रतिपादित किये गये हैं 25.. १. बिना सोचे विचारे किसी पर मिथ्या दोषारोपण करना; ... २. एकान्त में वार्तालाप करने वालों पर मिथ्या दोषारोपण करना;
३. स्वस्त्री अथवा स्वपुरूष की गुप्त एवं मार्मिक बात को प्रकट करना; ४. मिथ्या उपदेश या झूठी सलाह देना; ५. झूठे दस्तावेज लिखवाना।
२४. वोगशास्त्र - २/५४ । २१.उपासकदशांग- १/३३
- (लाडनूं, पृष्ठ ४०४) ।
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