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________________ ४०२ के होते हैं, अनुकूल उपसर्ग भी साधना में बाधक होते हैं। ३. तप : साधक तप के द्वारा स्वेच्छा पूर्वक कष्ट सहन करते हैं। पूर्वकृत कर्मों की निर्जरा का अथवा पूर्व कर्मों के ऋण से मुक्त होने का एक मात्र साधन तप ही है। साधक इन्हें स्वेच्छा से स्वीकार करते हैं। इस प्रकार इन तीनों के स्वरूप एवं संख्या में भी अन्तर है। जहां परीषह भूख, प्यास, शीत, उष्ण आदि बाईस होते हैं जिनका विस्तृत विवेचन हम कर चुके हैं, वहीं उपसर्ग अनेक प्रकार के होते हैं। कभी कभी परीषह भी उपसर्ग बन जाते हैं यदि वे किसी के द्वारा कष्ट देने की भावना से दिये जायें जैसे, प्रभु महावीर पर संगमदेव ने परीक्षा लेने की भावना से एक रात में बीस उपसर्ग किये थे। जहां तक तप का प्रश्न है उसके बारह भेद हैं - अनशन, ऊणोदरी, वृत्तिसंक्षेप (भिक्षाचर्या), रसपरित्याग, कायक्लेश, संलीनता एवं प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और कायोत्सर्ग। इनका विवेचन स्वतन्त्र रूप से किया गया है। यहां तो हमारा उद्देश्य इन तीनों के पारस्परिक सम्बन्ध को स्पष्ट करना है। : क्षेत्र की अपेक्षा से यदि विचार किया जाय तो परीषह की अपेक्षा से उपसर्ग तथा तप का क्षेत्र व्यापक है क्योंकि परीषह के रूप में आने वाली ही परिस्थितियां यदि किसी के द्वारा कष्ट देने के प्रयोजन से प्रस्तुत की जाये तो वे ही उपसर्ग बन जाती है तथा परीषह में आने वाली कुछ परिस्थितियां जैसे भूख, प्यास, सर्दी, गर्मी आदि को सहन करने की प्रतिज्ञा ले ली जाये तो वही तप के अन्तर्गत आ जाती हैं। वस्तुतः परीषह एवं उपसर्ग पर विजय भी तप के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है क्योंकि ध्यान एवं कायोत्सर्ग करने वाला साधक ही प्रत्येक परिस्थिति में अविचलित रह सकता है। तीनों में समरूपता : परीषह, उपसर्ग तथा तप तीनों का लक्ष्य कठिन परिस्थितियों में समभाव की साधना है। साधक इन तीनों स्थितियो में समता की ही साधना करता है और कर्मों की निर्जरा करके मोक्ष को प्राप्त करता है, फिर भी इन तीनों में जो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004235
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinitpragnashreeji
PublisherChandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages682
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size9 MB
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