SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 456
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०० संक्षेप में अन्य साधु आदि का सम्मान होता देखकर स्वयं के लिए उसकी आकांक्षा न करना तथा स्वयं के सम्मानित होने पर अभिमान नहीं करना सत्कार पुरस्कार परीषह को सहन करना है। (२०) प्रज्ञा परीषह : विद्वान् मुनि से सभी अपनी जिज्ञासाओं का समाधान चाहते हैं, किन्तु वह सभी की जिज्ञासाओं का समाधान कर सके यह सम्भव नहीं होता है। उत्तराध्ययनसूत्र के अनुसार किसी के पूछे जाने पर यदि मुनि उसका उत्तर न दे सके तो वह खेद न करे, वरन् यह चिन्तन करे कि ये मेरे ही पूर्वकृत अज्ञान रूपी कर्मों का फल है। यही प्रज्ञा परीषह जय है। 154 इस प्रकार उत्तराध्ययनसूत्र मूल में जहां प्रज्ञा के अपकर्ष को प्रज्ञा परीषह कहा है वहीं टीकाकार शान्त्याचार्य ने प्रज्ञा के अपकर्ष व उत्कर्ष दोनों को सहन करना प्रज्ञा परीषह बतलाया है। प्रज्ञा के उत्कर्ष में अहंकार न करना और अपकर्ष में दुःखी नहीं होना प्रज्ञा परीषह जय है।155 कभी कभी प्रज्ञावान मुनि को अपनी जिज्ञासाओं के समाधान आदि हेतु अनेक लोग घेरे रहते हैं, ऐसी स्थिति में कभी आत्मसाधना में, तो कभी शारीरिक सुख सुविधाओं में, बाधा उत्पन्न होती है। ऐसी परिस्थिति में समभाव रखना, आक्रोश नहीं करना, प्रज्ञा परीषह को जीतना है। (२१) अज्ञान परीषह : तप, साधना करने के बाद भी यदि प्रगाढ़ ज्ञानावरणीय कर्म के प्रभाव से अज्ञान का नाश नहीं हो तो भी मुनि उसे समभाव से सहन करे अर्थात् सत् पुरूषार्थ को व्यर्थ न समझे।. यही अज्ञान परीषह को जीतना है। ज्ञान की अनुपलब्धि में भी समत्व धारण करना अज्ञान परीषह है। (२२) दर्शन परीषह : ' आस्था को विचलित करने वाली परिस्थितियों में भी अपनी आस्था को सुरक्षित रखना अर्थात् उनसे विचलित न होना, दर्शन परीषह है। । पहा १५४ उत्तराध्ययनसूत्र - २/४०-४१ । १५५ उत्तराध्ययनसूत्र टीका पत्र - १३८ - (शान्त्याचार्य)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004235
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinitpragnashreeji
PublisherChandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages682
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy