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है। किन्तु नन्दीसूत्र में हमें आवश्यक एवं आवश्यक व्यतिरिक्त ग्रन्थों का सन्दर्भ मिलता है। पुनः स्थविरों द्वारा रचित ग्रन्थों की संख्या और अधिक हो जाने पर आवश्यक व्यतिरिक्त ग्रन्थों को भी कालिक एवं उत्कालिक ऐसे दो भागों में विभाजित किया। नन्दीसूत्र में जो सूची दी गई उसमें निम्न ग्रन्थों का उल्लेख मिलता है -
नन्दीसूत्र में निर्दिष्ट आगम और उनका वर्गीकरण आगम अंगप्रविष्ट
अंगबाह्य १. आचारांग
आवश्यक
आवश्यक व्यतिरिक्त सूत्रकृतांग
सामायिक स्थानांग
चतुर्विंशतिस्तव समवायांग
वन्दन भगवतीसूत्र (व्याख्याप्रज्ञप्ति) ४. प्रतिक्रमण ज्ञाताधर्मकथांग
कायोत्सर्ग उपासकदशांग
प्रत्याख्यान अन्तकृतदशांग अनुत्तरोपपातिक दशांग प्रश्नव्याकरणसूत्र विपाकसूत्र दृष्टिवाद कालिक
उत्कालिक १. उत्तराध्ययनसूत्र १७. वरूणोपपात १. दशवैकालिक १७. पौरषीमण्डल २. दशाश्रुतस्कंध
१८. गरूड़ोपपात २. कल्पिकाकल्पिक १८. मण्डलप्रवेश ३. कल्प
१६. धरणोपपात ३. चुल्लकल्पश्रुत १६. विद्याचारणविनिश्चय ४. व्यवहार
२०. वेश्रमणोपपात ४. महाकल्पश्रुत २०. गणिविद्या ५. निशीथ
२१. वेलंधरोपपात ५. औपपातिक २१. ध्यानविभक्ति ६. महानिशीथ
२२. देवेन्द्रोपपात ६. राजप्रश्नीय २२. मरणविभक्ति ७. ऋषिभाषित
२३. उत्थानश्रुत ७. जीवाभिगम २३. आत्मविशोधि ८. जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति २४. समुत्थानश्रुत ८. प्रज्ञापना २४. वीतरागश्रुत ६. दीपसागरप्रज्ञप्ति २५. नागपरियापनिका ६ महाप्रज्ञापना २५. संलेखनाश्रुत १०. चन्द्रप्रज्ञप्ति
२६. निरयावलिका १०. प्रमादाप्रमाद २६. विहारकल्प ११. क्षुल्लिकाविमान प्रविमक्ति २७. कल्पिका ११. नन्दी २७. चरणविधि १२. मल्लिकाविमान प्रविमक्ति २८. कल्पावंतसिका १२. अनुयोगद्वार २८. आतुरप्रत्याख्यान १३. अंगचूलिका २६. पुष्पिका १३. देवेन्द्रस्तव २६. महाप्रत्याख्यान १४. बंगचूलिका ३०. पुष्पचूलिका १४. तंदुलवैचारिक १५. विवाहचूलिका ३१. वृष्णिदशा १५.चन्द्रवेध्यक
१२.
दृष्टिपाप
१६. अरूणोपपात
१६. सूर्यप्रज्ञप्ति
१० नन्दीसूत्र सू. ७६
- ('नवसुत्ताणि' लाडनू पृष्ठ २६८)
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