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________________ ६.५ सम्यक् चारित्र सम्यक्चारित्र मोक्षमार्ग की साधना का तृतीय चरण है । इसको परिभाषित करते हुए उत्तराध्ययनसूत्र में कहा गया है - जो कर्म के चय (संचय) को रिक्त करे वह चारित्र है। 83 चारित्र की यही व्याख्या निशीथभाष्य में भी उपलब्ध होती है 84 आध्यात्मिक जीवन की पूर्णता चारित्र के माध्यम से ही प्राप्त होती है। चारित्र के महत्त्व को प्रकाशित करते हुए आचारांगनिर्युक्ति में कहा गया है, 'ज्ञान का सार आचरण है और आचरण का सार निर्वाण या परमार्थ की उपलब्धि है। 85 डॉ. सागरमल जैन के अनुसार चित्त अथवा आत्मा की वासनाजन्य मलिनता और अस्थिरता को समाप्त करना सम्यक्चारित्र है। 86 ३२५ चारित्र के मुख्यतः दो प्रकार होते १) देशविरतिचारित्र और २) सर्वविरतिचारित्र । दूसरे शब्दों में इन्हें श्रावकाचार एवं श्रमणाचार कहा जाता है। श्रावकाचार के अन्तर्गत बारह अणुव्रत, ग्यारह प्रतिमा, आदि का उल्लेख प्राप्त होता है तथा श्रमणाचार में पंचमहाव्रत, अष्टप्रवचनमाता, बाईसपरीषह, दस यतिधर्म आदि का समावेश किया जाता है । उत्तराध्ययनसूत्र में चारित्र की / चर्चा विस्तृत रूप से उपलब्ध होती है, परन्तु हम प्रस्तुत प्रसंग में इसके अट्ठाइसवें अध्ययन के अन्तर्गत आये चारित्र के पांच भेदों का ही विवेचन करेगें। श्रमणाचार तथा श्रावकाचार आदि के विस्तृत विवेचन के लिए इसी ग्रन्थ का दसवां एवं ग्यारहवां अध्याय द्रष्टव्य है। - उत्तराध्ययनसूत्र के अनुसार चारित्र के पांच प्रकार हैं - १. सामायिकचारित्र २. छेदोपस्थापनीयचारित्र ३. परिहारविशुद्धि चारित्र ४. सूक्ष्मसम्परायचारित्र और ५. यथाख्यातचारित्र। 7 तत्त्वार्थसूत्र में भी इन्हीं पांच प्रकार के चारित्रों का उल्लेख है। 88 १. सामायिकचारित्र : ८७ उत्तराध्ययनसूत्र - २८ / ३२, ३३ । ८८ तत्त्वार्थसूत्र ६/१८ । Jain Education International ८३ उत्तराध्ययनसूत्र - २८/३३ । ८४ निशीथभाष्य - उद्धत जैन दर्शन और कबीर का तुलनात्मक अध्ययन पृष्ठ १२५ । - ८५ आचारांगनिर्युक्ति - २४४ ( नियुक्तिसंग्रह, पृष्ठ ) ८६ जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन भाग २ पृष्ठ ८४ । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004235
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinitpragnashreeji
PublisherChandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages682
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size9 MB
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