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८. ३ अन्य ग्रन्थों में समाधिमरण
(१) आतुरप्रत्याख्यान प्रकीर्णक
इसमें मृत्यु के दो प्रकार बालमरण और पण्डितमरण पर विस्तार से वर्णन किया गया है। पण्डितमरण की प्राप्ति के लिए ६३ प्रकार की साधना का उल्लेख है। उसमें बालमरण के स्वरूप, दोष आदि का भी विस्तारपूर्वक विवेचन किया गया है। समाधिमरण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उसे मोक्ष प्राप्ति का साधन कहा गया है। इसमें बालपण्डितमरण का भी वर्णन मिलता है।
(२) महाप्रत्याख्यान
इसमें पण्डितमरण तथा बालमरण आदि का वर्णन किया गया है। (३) मरणविभक्ति
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इस प्रकरण की रचना मुख्यतः निम्न ग्रन्थों के आधार पर हुई है (१) मरणविभक्ति; (२) मरणविशोधि;
(३) मरणसमाधि;
(४) संलेखना श्रुतः
(५) भक्तपरिज्ञा;
(६) आतुरप्रत्याख्यान;
(७) महाप्रत्याख्यान; और (८) आराधना
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इन सभी ग्रन्थों का मुख्य प्रतिपाद्य समाधिमरण है।
(४) संस्तारक प्रकीर्णक
इसमें समाधिमरण का स्वरूप, उसके लाभ एवं सुख के साथ समाधिमरण लेने वाले व्यक्तियों के उदाहरण, संथारे (संस्तारक) पर आरूढ़ व्यक्ति के 'मन में उठने वाले भावों का सुन्दर चित्रण किया गया है, साथ ही समाधिमरण पूर्वक देहत्याग करने वाले अर्णिकापुत्र, गजसुकुमालमुनि, अवन्ति, चाणक्य, अमृतघोष तथा चिलातिपुत्र आदि का प्रमुख रूप से वर्णन किया गया है।
(५) भगवती आराधना
इसमें समाधिमरण का विस्तृत विवेचन किया गया है जैसे मरण के १७ प्रकार, समाधिमरण के तीन प्रकार (भक्तपरिज्ञा, इंगिनीमरण और पादोपगमण)
आदि ।
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