SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (वायु) एवं अनल (अग्नि) को त्रस माना है। उत्तराध्ययनसूत्र के समान पंचास्तिकाय में भी षट्जीवनिकाय का क्रम- पृथ्वी, अप्, अग्नि, वायु वनस्पति एवं त्रस के रूप में मिलता है। इस सन्दर्भ में उत्तराध्ययनसूत्र एवं पंचास्तिकाय की गाथाएं भी साम्य रखती हैं।7 डॉ. सागरमल जैन की मान्यता है कि उत्तराध्ययनसूत्र एवं पंचास्तिकाय आदि में उपलब्ध षट्जीवनिकाय का यह क्रम स्थावर एवं त्रस जीवों की अपेक्षा से न होकर एकेन्द्रिय आदि के वर्गीकरण के आधार पर है। 18 ५.७ षट्जीवनिकाय के भेद-प्रभेद संसार में परिभ्रमण करने वाले जो जीव कर्मों से युक्त होते हैं वे संसारी जीव कहलाते हैं। जैनपरम्परा में संसारी जीवों के भेद अनेक अपेक्षाओं से किये गये हैं। उत्तराध्ययनसूत्र के छत्तीसवें अध्ययन में संसारी जीव के सर्वप्रथम दो भेद किये गये हैं- त्रस एवं स्थावर । स्थावर के पुनः पृथ्वी, जल एवं वनस्पति ऐसे तीन भेद बतलाये गये हैं। इसी प्रकार त्रस के भी अग्निकाय, वायुकाय और उदारत्रस ऐसे तीन भेद किये गये हैं। 19 १६६ (१) पृथ्वीकायिक जीव जिन जीवों का शरीर पृथ्वी का होता है वे पृथ्वीकायिक जीव कहलाते हैं। उत्तराध्ययनसूत्र में पृथ्वीकायिक जीवों के सूक्ष्म एवं बादर दो भेद किये गये हैं। पुनः पर्याप्तक एवं अपर्याप्तक के रूप में इन दोनों के भी दो-दो अवान्तर भेद किये गये हैं।50 पर्याप्तक आत्मा की एक शक्ति है और इस शक्ति के द्वारा जीव पुद्गलों का आहरण करके उन्हें आहार रूप में, शरीर रूप में, इन्द्रिय रूप में, श्वास एवं उच्छवास रूप में, भाषा रूप में और मन रूप में परिणत करता है। पुद्गल - परिणमन ४७ पंचास्तिकाय ११० एवं १११ । ४८ 'डॉ. सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ' पृष्ठ १२८ | ४६ उत्तराध्ययनसूत्र ३६ / ६८ एवं १०७ । ५० उत्तराध्ययनसूत्र ३६ / ७० । स्थावर के भेद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004235
Book TitleUttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinitpragnashreeji
PublisherChandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust
Publication Year2002
Total Pages682
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy