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स्कन्ध
अनेक परमाणुओं के संघठन से ‘स्कन्ध' बनता है अर्थात् दो या दो से अधिक परमाणुओं का समुदाय/ एकीभूत पिण्ड स्कन्ध कहलाता है। स्कन्धों में परमाणुओं की संख्या सदा एक सी नहीं रहती है, वह घटती बढ़ती रहती है। पुराने स्कन्धों के विघटन से नये स्कन्धों का निर्माण होता है। एक बड़ा स्कन्ध अनेक छोटे-छोटे स्कन्धों में तथा अनेक छोटे स्कन्ध एक बड़े स्कन्ध में परिणत हो सकते हैं। ये दो परमाणु से लेकर अनन्त परमाणु के संयोग से निर्मित होते हैं। पुद्गलस्कन्ध अनन्त हैं।
देश पुद्गलस्कन्ध का एक अंश देश कहलाता है। यह परमाणु या प्रदेश से बड़ा एवं विभाज्य होता है। छोटे से छोटा देश द्विप्रदेशी होता है तथा बड़े से बड़ा देश अनन्तप्रदेशी भी हो सकता है।
प्रदेश
किसी भी स्कन्ध का अविभाज्य अंश प्रदेश कहलाता है। इसका परिमाण परमाणु तुल्य ही होता है। परन्तु परमाणु एवं प्रदेश में अन्तर यह है कि प्रदेश, स्कन्ध से अपृथक् होता है; जबकि परमाणु स्वतन्त्र होता है । स्कन्ध से सम्पृक्त परमाणु प्रदेश कहलाता है और वही प्रदेश स्कन्ध से पृथक होने पर परमाणु बन जाता है।
परमाणु पांच अस्तिकायों में पुद्गल ही एक ऐसा द्रव्य है जो स्कन्ध एवं परमाणु दोनों रूपों में उपलब्ध होता है। शेष अस्तिकाय रूप ही होते हैं, परमाणु रूप नहीं। पुद्गलास्तिकाय के स्कन्ध का निर्माण परमाणु के संयोग वियोग से होता है; परन्तु परमाणु स्वतन्त्र रूप से भी अपना अस्तित्व रखते हैं। परमाणु जब स्वतन्त्र होते हैं तो परमाणु कहलाते हैं और जब सम्पृक्त होते हैं तो स्कन्ध कहे जाते हैं। इसी स्कन्ध का विभाज्य अंश देश और अविभाज्य अंश प्रदेश कहा जाता है।
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