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आदि अनेक विषयों का व्यवस्थित प्रतिपादन किया गया है जिन्हें हम उत्तराध्ययनसूत्र के छत्तीस अध्ययनों की विषय वस्तु की चर्चा के प्रसंग में देख सकते है।
उत्तराध्ययनसूत्र के इन छत्तीस ही अध्ययनों की विषयवस्तु भिन्न-भिन्न है। हम यहां क्रमशः उनका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करेंगे। १. विनय : उत्तराध्ययनसूत्र के प्रथम अध्ययन का नाम 'विनयश्रुत' है। 'विनय' का सामान्य अर्थ विनम्रता है, किन्तु प्रस्तुत अध्ययन में 'विनय' विनम्रता के साथ-साथ मुनि-आचार का भी प्रतिपादक है, इसीलिए इस अध्ययन में विनय के दोनों अर्थों (नम्रता एवं आचार) को आधार बनाकर तत्त्वों का प्रतिपादन किया गया है।
सर्वप्रथम इसमें विनीत और अविनीत के लक्षणों की चर्चा करते हुए यह बताया गया है कि विनीत शिष्य ज्ञान प्राप्त करके संसार के जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और अविनीत ज्ञान के अभाव में संसार में ही परिभ्रमण करता रहता है। इसी क्रम में आगे यह भी बताया गया है कि विनीत शिष्य को अपने गुरूजनों के प्रति किस प्रकार से व्यवहार करना चाहिए। तत्पश्चात् मुनि के सामान्य विनय की चर्चा करते हुए इसमें भिक्षा सम्बन्धी नियमों एवं आचार, व्यवहार की चर्चा की गई है । अतः यह अध्ययन न केवल विनीत और अविनीत शिष्य के व्यवहार सम्बन्धी लक्षणों की चर्चा करता है, अपितु मुनि आचार की एक सामान्य सामाचारी भी प्रस्तुत करता है। आध्यात्मिक दृष्टि से इस अध्ययन में यह बताया गया है कि आत्मा पर विजय प्राप्त करना अत्यन्त कठिन है, किन्तु आत्मा की दुष्प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करना साधना का अपरिहार्य अंग है, क्योंकि जो आत्मविजेता होता है वह इस लोक और परलोक में सुखी होता है। इस प्रकार इस अध्ययन में आत्मविजेता होने का अपूर्व संदेश भी दिया गया है। २. परीषह : उत्तराध्ययनसूत्र के परीषह नामक द्वितीय अध्ययन में मुनि के बाईस परीषहों का वर्णन है। नियुक्तिकार के अनुसार यह अध्ययन ‘कर्मप्रवाद' पूर्व के सत्रहवें प्रामृत से उद्धृत् है। ‘परीषह' वस्तुतः साधना मार्ग में आने वाली कठिनाईयां हैं, किन्तु परीषह साधना में बाधक नहीं वरन् उपकारक ही होते हैं। यह समझकर साधक उन्हें शान्त भाव से सहन करते हैं; उद्विग्न नहीं होते हैं। प्रस्तुत अध्ययन में परीषहों के विवेचन के रूप में मुनिचर्या का बहुत ही सूक्ष्म निरूपण हुआ है। इस अध्ययन में निरूपित २२ परीषह निम्न हैं -
(१) क्षुधा । (२) पिपासा (३) शीत (४) उष्ण (५) दंश-मशक (६) अचेल (७) अरति () स्त्री
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