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योग-शास्त्र
इन लक्षणों में से कोई भी एक लक्षण दिखाई दे, तो उस मनुष्य की निस्सन्देह एक मास में मृत्यु होती है। .
शीते हकारे फुत्कारे चोष्णे स्मृति-गति-क्षये ।
अङ्गपञ्चकशैत्ये च स्याद्दशाहेन पञ्चता ।। १६३ ।। ___ यदि किसी व्यक्ति को अपना मुख फाड़कर 'ह' अक्षर का उच्चारण करते समय श्वास ठण्डा निकले, फूत्कार के साथ श्वास बाहर निकालते समय गर्म प्रतीत हो, स्मरण-शक्ति लुप्त हो जाए, चलने-फिरने की शक्ति क्षीण हो जाए और शरीर के पांचों अंग ठण्डे , पड़ जाएँ, तो उसकी दस दिन में मृत्यु होती है।
अर्घोष्णमर्ध-शीतं च, शरीरं जायते यदा।
ज्वालाकस्माज्ज्वलेद्वांगे सप्ताहेन तदा मृतिः॥ १६४ ॥ यदि किसी व्यक्ति का आधा शरीर उष्ण और आधा ठंडा हो जाए अथवा अकस्मात् ही शरीर में ज्वालाएँ जलने लगें, तो उसकी एक सप्ताह में मृत्यु हो जाती है।
स्नातमात्रस्य हृत्पादं तत्क्षणाद्यदि शुष्यति ।
दिवसे जायते षष्ठे तदा मृत्युरसंशयम् ।। १६५ ।। यदि स्नान करने के पश्चात् तत्काल ही किसी व्यक्ति की छाती और पैर सूख जाएँ तो उसकी निश्चय ही छठे दिन मृत्यु हो जाती है ।
जायते दन्तघर्षश्चेच्छवगन्धश्च दुःसहः ।
विकृता भवतिच्छाया त्र्यहेण म्रियते तदा ॥ १६६ ।। जो मनुष्य दाँतों से कटा-कट करता रहे, जिसके शरीर में से मुर्दे के समान दुर्गन्ध निकलती रहे या जिसके शरीर के वर्ण में विकृति प्रा जाए, तो वह तीन दिन में मृत्यु को प्राप्त होता है ।
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