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________________ विशेष गुणों में भी गिनाया गया है, क्योंकि ये चारों गुण सजाति की अपेक्षा सामान्य गुण हैं और विजाति की अपेक्षा विशेष गुण है । 158 तात्पर्य यह है कि चेतनत्व गुण जीव में ही पाया जाता है । किन्तु जीव द्रव्य तो अनन्त हैं और उन सभी में चेतनत्व गुण पाया जाता है । इस अपेक्षा से बह सामान्य गुण है किन्तु अचेतन द्रव्यों की अपेक्षा वही विशेष गुण है। अचेतनत्व गुण पाँचों अचेतन द्रव्यों में पाया जाता है, इसलिए वह सामान्य गुण है, किन्तु चेतन जीव में न पाया जाने से वही विशेष गुण हो जाता है । मूर्तत्व गुण केवल पुद्गल द्रव्यों में ही पाया जाता है और पुद्गल द्रव्य तो जीवों से भी अनन्तगुणे हैं। इस अपेक्षा से वह पुद्गल का सामान्य गुण है किन्तु अमूर्त द्रव्यों में न पाया जाने से वहीं विशेष गुण हो जाता है। अमूर्तत्व गुण पुद्गल के सिवाय शेष सभी द्रव्यों में पाया जाता है अतः वह सामान्य गुण है । किन्तु पुद्गल द्रव्य न पाया जाने से वही विशेष गुण है। इसलिए इन चार गुणों की गणना सामान्य और विशेष गुणों में की गयी है। आचार्य अमृतचन्द्र ने भी मूर्तत्व, अमूर्तत्व, चेतनत्व और अचेतनत्व को साधारण गुणों में गिनाया है। इनमें से अमूर्तत्व तथा अचेतनत्व तो साधारण हैं, किन्तु चेतनत्व और मूर्तत्व विशेष गुण हैं। वस्तुत्व और प्रमेयत्व का अमृतचन्द्र जी ने नामोल्लेख नहीं किया है। विशेष गुण - ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, अवगाहन हेतुत्व, वर्तना हेतुत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व और अमूर्तत्व - ये द्रव्यों के 16 विशेष गुण हैं। 159 उक्त दस सामान्य गुणों में से प्रत्येक द्रव्य में आठ-आठ सामान्य गुण हैं, क्योंकि जीव द्रव्य में अचेतनत्व और मूर्तत्व ये दो गुण नहीं होते, पुद्गल द्रव्य में चेतनत्व और अमूर्तत्व ये दो गुण नहीं होते तथा धर्म द्रव्य, अधर्मद्रव्य आकाश द्रव्य और कालद्रव्य में चेतनत्व और मूर्तत्व गुण नहीं होते हैं। 160 इसी प्रकार उक्त सोलह विशेष गुणों में से जीव द्रव्य में ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, चेतनत्व और अमूर्तत्व - ये छ: गुण मुख्य होते है, पुद्गल द्रव्य में स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, मूर्तत्व और अचेतनत्व - ये छः गुण मुख्य होते हैं। "1 धर्मद्रव्य में गतिहेतुत्व, अमूर्तत्व, अचेतनत्व - ये तीन विशेष गुण होते हैं, अधर्मद्रव्य में स्थितिहेतुत्व, अमूर्तत्व, अचेतनत्व - ये तीन विशेष गुण होते हैं । आकाश द्रव्य में अवगाहन हेतुत्व, अमूर्तत्व अचेतनत्व - ये तीन विशेष गुण होते हैं और कालद्रव्य में वर्तनाहेतुत्व, अमूर्तत्व, अचेतनत्व - ये तीन विशेष गुण होते हैं 112 इस प्रकार सब द्रव्यों में से प्रत्येक द्रव्य में आठ-आठ सामान्य गुण होते हैं 66 :: जैनदर्शन में नयवाद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004231
Book TitleJain Darshan me Nayvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhnandan Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2010
Total Pages300
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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