SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवचन - 6 दर्शनावरण के भेद और बँध हेतु दर्शनावरण के नौ भेद वस्तु के सामान्यबोध को दर्शन कहते हैं। 'यह कुछ है' ऐसे बोध को दर्शन कहते हैं। उसे रोकने वाला कर्म दर्शनावरण कहलाता है। उसके नौ भेद है। 1. चक्षु दर्शनावरण- आँख के द्वारा होने वाले सामान्य बोध (दर्शन) को रोकने वाले कर्म को दर्शनावरण कहते हैं। 2. अचक्षु दर्शनावरण- आँख से अतिरिक्त शेष चार इन्द्रिय द्वारा होने वाले सामान्य बोध (दर्शन) को रोकने वाला कर्म अचक्षुदर्शनावरण कहलाता है। 3. अवधिदर्शनावरण- रूपी द्रव्य के साक्षात् सामान्य बोध को रोकनेवाला कर्म अवधिदर्शनावरण कहलाता है। 4. केवलदर्शनावरण- जगत के समस्त पदार्थों के दर्शन को रोकने वाला कर्म केवलदर्शनावरण कहलाता है । 5. निद्रा- जिस कर्म के उदय में आने पर सुख पूर्वक जग सके उसे निद्रा दर्शनावरण कहते हैं। 6. निद्रा-निद्रा - जिस कर्म में उदय में आने पर कष्ट पूर्वक जग सके उसे निद्रा निद्रा दर्शनावरण कहते हैं। - 7. प्रचला - जिसके उदय से आने पर खड़े-खड़े या बैठेबैठे नींद आये उसे प्रचला दर्शनावरण कहते हैं। रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! / 92 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004216
Book TitleRe Karm Teri Gati Nyari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy