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4. अन्तराय कोई भी व्यक्ति पढ़ रहा हो तो विघ्न पहुँचाना....परेशान करना......रेडियो, टीवी तेज बजाना......जोर-जोर से चिल्लाकर बातें करना....हँसना....जिससे पढ़ाई करने वाला बेचारा चाह कर भी पढ़ाई नहीं कर सकें.....उसे दूसरा काम बता देना....जिससे उसे पुस्तक छोड़नी ही पड़े....इस प्रकार अन्तराय करने से ज्ञानावरणीय कर्म बंधते हैं।
5. आशातना पोस्ट कवर, इनलेण्ड लेटर, पोस्टल टिकिट आदि को यूँक से चिपकाना.....पुस्तक, कागज, पेन, पेन्सिल, नोट-रुपये आदि हाथ में या जेब में रखकर पेशाब करना....संडास जाना....कागज पर संडास Latrine जाना....अखबार में नाश्ता खाना....अक्षर वाले टी-शर्ट पहिनना इत्यादि से भयंकर ज्ञानावरणीय कर्म बँधते हैं। आपके शर्ट की कोलर पर टेलर की छाप, पेंट और अंडरवीयर आदि पर जो स्टीकर छापें लगती हैं, वे आपके किसी काम की नहीं है.... यदि आप इन्हें काटकर अलग निकाल देते हैं तो ठीक वरना....ज्ञानावरणीय कर्म का व्यर्थ ही बंध कर लेते हैं....| नासमझ बहिनें भी कई बार अपने बच्चों को अखबार पर टट्टी करवाती है....। जो सर्वथा अनुचित है...। चूँकि उससे भयंकर ज्ञानावरणीय कर्म बँध होता है। ज्ञानावरण की बात पूरी हुई । अब हम आपको दर्शनावरण की बातें समझायेंगे।
रेकर्म तेरी गति न्यारी...!! /91
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