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________________ नमः 00000 घनसे 1000000 सन् 1000 UOL टीमाटर 600000 श्रीमीटर Oooo00 परमाणु 109 मीटर परमाण परमाणु परमाणु 1. औदारिक 2. वक्रिय 2. वैक्रिय 3. आहारक 4. तैजस . 10000 घनसे 100000 अन्टीम 1011 नमीटर 1013 टीमीट नि सेन्हा 10001 परमाणु 105 परमाणु परमाणु परमाणु 5. भाषा 6. श्वासोच्छ्रास 7. मन: 8. कार्मण 2.वैक्रियवर्गणा औदारिक वर्गणा से अनंत गुने अधिक परमाणु जुड़ते हैं तब वैक्रियवर्गणा बनती है। उदाहरण के तौर पर....यदि औदारिक वर्गणा में 1000 परमाणु होते हैं तो उससे अनंत = 100 अत: वैक्रियवर्गणा में1000x100=105 परमाणु होते हैं। 10x10x10x10x10= 100000 उपर्युक्त वर्गणा और आगे कही जाने वाली वर्गणाओं की विशेषता यह है कि ज्यों-ज्यों उत्तरोत्तर एक-दूसरे की तुलना में परमाणु अनंत गुने बढ़ते जायेंगे, त्यों-त्यों उनका क्षेत्र-घेराव असंख्यात गुण हीन बनता जायेगा। ढेर सारी रूई को दबाकर जैसे उसका क्षेत्र-घेराव घटा दिया जाता है, वैसे ही यहाँ पर भी परमाणु तो बढ़ते जायेंगे, मगर घेराव घटता जायेगा। रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /26 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004216
Book TitleRe Karm Teri Gati Nyari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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