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________________ आधुनिक विज्ञान का माना हुआ अणु ही यदि वास्तविक अणु माना जाय तो उसके विभाजन कैसे हो सकते हैं ? आज के अणु के तो खुद वैज्ञानिकों ने ही विभाजन कर बताये हैं। उन्होंने अणु के कई टुकड़े ढूँढ निकाले...उसमें प्रोटोन, इलेक्ट्रोन, न्यूट्रोन मुख्य हैं। उदाहरण- हाइड्रोजन के अणु में एक प्रोटोन, एक न्यूट्रोन । और उसकी परिधि में चारों और घूमता हुआ एक इलेक्ट्रोन है। हिलियम के अणु में दो प्रोटोन, दो न्यूट्रोन और दो इलेक्ट्रोन होते हैं, इसी तरह कार्बन के अणु में छह प्रोटोन, छह न्यूट्रोन और छह इलेक्ट्रोन होते हैं। आधुनिक अणु को हम व्यावहारिक परमाणु के रूप से पहचान सकते हैं, चूँकि यह वास्तव परमाणु नहीं, परमाणु का जथ्था स्कंध है। जैन-दर्शन ने परमाणु की जो व्याख्या की है, वैसे दो परमाणु जब जुड़ते हैं तब द्विप्रदेशी स्कंध उत्पन्न होता है। जब तीन जुड़ते हैं तब त्रिप्रदेशी, चार जुड़ते हैं तब चतुष्प्रदेशी.....इसी तरह आगे बढ़कर अनंत परमाणु जुड़ते हैं तब अनंत प्रदेशी स्कंध पैदा होता है। 1.औदारिकवर्गणा जब अनंत परमाणु परस्पर जुड़ते हैं तब उसे औदारिक वर्गणा कही जाती है। मनुष्य और तिर्यंच (पशु-पक्षी आदि) के शरीर औदारिक वर्गणा से बनते हैं, प्रतिपल अपने इस शरीर में नई औदारिक वर्गणा प्रवेश करती है और कितनी ही पुरानी औदारिक वर्गणाएँ शरीर से अलग होती जाती है। रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /25 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004216
Book TitleRe Karm Teri Gati Nyari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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