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आँख से पाप घुसता है और शरीर प्रभावित होता है....जीवन का ओज खत्म होता है....
अत: ब्रह्मचर्य का पालन न कर सके तो स्वदारा संतोषव्रत....एक पत्नी व्रत रखना चाहिए....परनारी, प्रोस्टीट्यूट्स, कॉल गर्ल्स (वेश्याएँ) का सर्वथा त्याग....वरना तिर्यंच योनि तैयार है....!
3.माया
हृदय में ऐसी गूढ़ता रखनी....बात छुपाकर रखनी...'मुँह में राम बगल में छुरी' वाला हिसाब रखना....औरों को बात की गंध तक न आये....
माया से तिर्यंचगति प्राप्त होती है.....तत्वार्थ सूत्र में श्री उमास्वाति म. ने कहा है - 'माया तैर्यग् यौनस्य'
एक तबाही की कहानी रुद्रदेव की पत्नी का नाम था अग्निशिखा। तीन पुत्र थे, डुंगर, कुडंग और सागर। उनकी पत्नियाँ क्रमश: शिला, निकृति और संचया थी। ___ घर में हमेंशा सास-बहू, जेठानी-देवरानी, पिता-पुत्र, पतिपत्नी की एक न एक महाभारत सीरियल तैयार हो ही जाती थी। रामायण सीरियल की भी शूटिंग हो जाया करती थी। पूरा घर क्लेशमय बन गया था। अशांति की आग में सभी झुलस रहे थे।
एक दिन रूद्रदेव ने सोचा....मेरे मरने के बाद अग्निशिखा का क्या होगा? . सभी बाहर गये हुए थे। दरवाजा बंदकर अग्निशिखा को एक
रे कर्म तेरी गति न्यारी...!! /121
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