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________________ सयंभू (पु.) (सयंभू+हुं) = सयंभूहं (पंचमी बहुवचन) वारि (नपुं.)(वारि+हुं) = वारिहुं (पंचमी बहुवचन) महु (नपुं.) (महु+हुं) = महुहुं (पंचमी बहुवचन) सप्तमी एकवचन 7/1 (ग) हरि (पु.) (हरि+हि) = हरिहि (सप्तमी एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी+हि) = गामणीहि (सप्तमी एकवचन) साहु (पु.) (साहु+हि) = साहुहि (सप्तमी एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+हि) = सयंभूहि (सप्तमी एकवचन) । वारि (नपुं.) (वारि+हि) = वारिहि (सप्तमी एकवचन) महु (नपुं.) (महु+हि) = महुहि (सप्तमी एकवचन) 12. इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.) इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) तृतीया एकवचन 3/1 अपभ्रंश भाषा में इ-ईकारान्त व उ-ऊकारान्त पुल्लिंग और इकारान्त व उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति एकवचन में 'एं', 'ण', 'णं' और 'अनुस्वार' (.) जोड़े जाते हैं। जैसेहरि (पु.) (हरि+एं) = हरिएं (तृतीया एकवचन) (हरि+ण/णं) = हरिण/हरिणं (तृतीया एकवचन) (हरि+०) = हरिं (तृतीया एकवचन) गामणी (पु.)(गामणी+एं) = गामणीएं (तृतीया एकवचन) (गामणी+ण/ण) गामणीण/गामणीणं(तृतीया एकवचन) (गामणी+1) = गामणी (तृतीया एकवचन) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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