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________________ साहु (पु.) (साहु+एं) = साहुएं (तृतीया एकवचन) (साहु+ण/णं) = साहुण/साहुणं (तृतीया एकवचन) (साहु+• ) = साहुं (तृतीया एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+एं) = सयंभूएं (तृतीया एकवचन) (सयंभू+ण/णं) = सयंभूण/सयंभूणं (तृतीया एकवचन) (सयंभू+ •) = सयंभू (तृतीया एकवचन) वारि (नपुं.)(वारि+एं) = वारिएं (तृतीया एकवचन)) (वारि+ण/णं) = वारिण/वारिणं (तृतीया एकवचन) (वारि+) = वारिं (तृतीया एकवचन) महु (नपुं.) (महु+एं) = महुएं (तृतीया एकवचन) (महु+ण/j) = महुण/महुणं (तृतीया एकवचन) (महु+i) = महुं (तृतीया एकवचन) अकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.) (क) प्रथमा एकवचन 1/1 (ख) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ग) द्वितीया एकवचन 2/1 (घ) द्वितीया बहुवचन 2/2 13. (i) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन व प्रथमा विभक्ति बहुवचन तथा द्वितीया विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'शून्य' ..प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे . प्रथमा एकवचन 1/1 (क) देव (पु.) (देव+0) = देव (प्रथमा एकवचन) हरि (पु.) (हरि+0) = हरि (प्रथाण एकवचन) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण . (7) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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