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बहु- सुह - छण्णउ ( बहुत सुखों से आच्छादित)
नियम 2- तइया विभत्ति तप्पुरिस समास (तृतीया तत्पुरुष समास )
गिरि - सिंगहुं ( पर्वत की शिखा से)
नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) खल-वयणइं (दुष्टों के वचन)
नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) उज्जाणवणेहिं (उद्यानों और वनों से )
नियम 1 - दंद समास (द्वन्द्व समास )
पाठ 14 - हेमचन्द्र के दोहे
कसाय-बलु (कषाय की सेना )
नियम 2-. छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास )
पंच-गुरु (पाँच गुरु)
पाठ 15 - परमात्मप्रकाश
नियम 2.2- • दिगु समास ( द्विगु समास)
देह - विभिण्णउ (देह से भिन्न)
नियम 2 - पंचमी विभत्ति तप्पुरिस समास (पञ्चमी तत्पुरुष समास ) परमप्पु (परम-आत्मा)
नियम 2.1 - कम्मधारय समास ( कर्मधारय समास )
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पुव्व-क्रियाई (पूर्व में किए गए)
. नियम 2 - सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास ( सप्तमी तत्पुरुष समास ) इंदिय - सुह- दुहई (इन्द्रियों के सुख-दुःख)
नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) मण-वावारु (मन का व्यापार )
नियम 2 - छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास ) देहादेहहिं (देह में और बिना देह के अपने में)
नियम 1- दंद समास ( द्वन्द्व समास )
अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद - अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक
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