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________________ जिण-सासणे (जिन शासन में) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) सोक्खुप्पत्ती (सुख की उत्पत्ति को) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) अन्तेउर-सारी (अन्तःपुर में श्रेष्ठ) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) रयणासव-जाएं (रत्नाश्रव के पुत्र द्वारा) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पड-पोट्टले (कपड़े की पोटली में) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) णहङ्गणु (नभ का आंगन) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) मेरु-सिहरे (पर्वत के शिखर पर) नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) चउ-सायरहं (चारों सागरों के) . नियम 2.2- दिगु समास ( द्विगु समास) गग्गिरवायए (भरी हुई वाणी से) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास). णिटर-हिययहो (निष्ठुर हृदय के) नियम 2.1- कम्मधारय समास (कर्मधारय समास) डाइणि-रक्खस-भूय-भयङ्करे (डाकनियों, राक्षसों और भूतोंवाले डरावने (वन) में) नियम 2- सत्तमी विभत्ति तप्पुरिस समास (सप्तमी तत्पुरुष समास) कमलमाल (कमल की माला) नियम 2- छठ्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) वट्टि-सिहए (बत्ती (वर्तिका) की शिखा से) .. नियम 2- छट्ठी विभत्ति तप्पुरिस समास (षष्ठी तत्पुरुष समास) पार-णारिहिं (नर और नारी में) - नियम 1- दंद समास (द्वन्द्व समास) अपभ्रंश-व्याकरण एवं छंद-अलंकार अभ्यास उत्तर पुस्तक 17 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004212
Book TitleApbhramsa Vyakaran evam Chand Alankar Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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