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________________ जीवावेमि = जीव+आवेमि (जिलाऊँगा) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। सालंकारा = स+अलंकारा (अलंकार सहित) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। कन्नापाणिग्गहणत्थमन्नोन्नं = कन्ना+पाणिग्गहण+अत्थं+अनोन्नं (कन्या से विवाह करने के लिए आपस में) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। केणावि = केण+अवि (किसी के द्वारा भी) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। कुरुचंदाभिहाणेण = कुरुचंद+अभिहाणेण (कुरुचंद नामवाले) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। पाठ 12-ससुरगेहवासीणं चउजामायराणं कहा परिणाविआओ = परिण+आविआओ (विवाह करवा दी गई) . नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। समागया = सम+आगया (साथ-साथ आये) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ। गुडमीसिअमन्नं = गुडमीसिअं+अन्नं (गुड से मिश्रित अन्न) . नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। पुणावि = पुण+अवि (फिर, भी) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आ। उयरग्गिदीवणेण = उयर+अग्गिदीवणेण (उदर की अग्नि का उद्दीपक होने के कारण) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक 15 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004211
Book TitlePrakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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