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________________ आत्थरणाभावे = आत्थरण+अभावे (बिस्तर के अभाव में) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+अ = आं। तुरंगमपिट्ठच्छाइआवरणवत्थं = तुरंगमपिट्ठ+अच्छाइआवरणवत्थं (घोड़े .. की पीठ पर ढकनेवाले आवरण वस्त्र को) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। गिहावासे = गिह+आवासे (गृहवास में) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ+आ = आ।. . पाठ 13-कुम्मे निरुव्विग्गाई = निर+उव्विग्गाइं (उद्वेग-रहित) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। आमिसहारा = आमिस+आहारा (मांसाहारी) नियम 1- समान स्वर सन्धिः (क) अ आ = आ। चिरत्थमियंसि = चिर+अत्थमियंसि (दीर्घकाल से अस्त होने पर) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। तस्सेव = तस्स+एव (उस ही) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (ख) ए, ओ से पहले अ, आ का लोप हो जाता है। आहारत्थी = आहार+अत्थी (आहार के इच्छुक) नियम 4- लोप-विधान सन्धिः (क) स्वर के बाद स्वर होने पर पूर्व स्वर का लोप विकल्प से हो जाता है। एगंतमवक्कमंति = एगंतं+अवक्कमति (एकान्त में जाते हैं) नियम 6- अनुस्वार विधानः (ii) यदि पद के अन्तिम 'म्' के पश्चात् स्वर आवे तो उसका विकल्प से अनुस्वार होता है। 16 प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004211
Book TitlePrakrit Vyakaran Abhyas Uttar Pustak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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