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. साहित्य के क्षेत्र में छंद एवं अलंकार दोनों का ही महत्त्वपूर्ण स्थान है।
छन्दोमयी रचना मानव मन को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। छन्दों के माध्यम से काव्य का रूप जितना निखरता है वैसा छन्द विहीन रचना में संभव नहीं है। इसी तरह अलंकार काव्योत्कर्ष का एक अनिवार्य साधन है। अलंकार द्वारा काव्य में सौन्दर्य का समावेश होता है जिससे काव्यगत अर्थ का सौन्दर्य द्विगुणित हो जाता है। अलंकार काव्य को आकर्षक एवं हृदयग्राही बनाते हैं।
पुस्तक प्रकाशन में प्रदत्त सहयोग के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती शकुन्तला जैन के आभारी हैं। ..
पृष्ठ संयोजन के लिए श्री श्याम अग्रवाल एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिन्टर्स प्रा. लि. धन्यवादाह हैं।
नरेशकुमार सेठी प्रकाशचन्द जैन
मंत्री प्रबन्धकारिणी कमेटी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
डॉ. कमलचन्द सोगाणी
संयोजक
अध्यक्ष
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जैनविद्या संस्थान समिति
श्रुत पंचमी
ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी, वीर निर्वाण संवत् 2534
8.6.2008
(VI)
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