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9. खंडयं
10. मधुभार
11. दीपक
12. करमकरभुजा
13. मदनविलास
14. जम्भेटिया
15. कुसुमविलासिका 16. अमरपुरसुन्दरी
17. चारुपद
18. गंधोदकधारा
19. अडिल्ल (अलिल्लह ) 20. उप्पहासिनी
वर्णिक छन्द - 21.
मालती
23. तोट्टक
25. वसन्तचत्वर
मात्रिक छन्द
अपभ्रंश अभ्यास सौरभ (छंद एवं अलंकार)
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22. दोधक
24. मौक्तिकदाम
26. पंचचामर
1. पद्धडिया छन्द
लक्षण - इसमें चार चरण होते हैं (चतुष्पदी) । प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ होती हैं तथा चरण के अन्त में जगण ( 151 ) होता है
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उदाहरण-:
जगण
जगण
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। ऽ। ऽ।
ऽ । । ऽ ऽ ।। । ऽ। जसु केवलणाण जगु गरिठु, करयल - आमलु व असेसु दिछु ।
जगण
जगण
ऽ ऽ ।। ।। ||| I । ऽ ।
।। ऽ।। 111 । ऽ।ऽ। तहीँ सम्मइ जिणहीँ पयारविंद, वंदेप्पिणु तह अवर वि जिणिंद |
सुदंसणचरिउ 1.1.11-12
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