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________________ की स्वरूपसत्ता की अनुभूति है। रहस्यवाद और तत्त्वमीमांसा द्रव्य की समस्या के प्रति भेद दर्शाते हैं। (1) रहस्यवादी का मूलभूत उद्देश्य कर्मों के आवरण को भेदकर लोकातीत जीवन की ओर अग्रसर होना है जिसमें केवलज्ञान के उत्पन्न होने के कारण पूर्ण अस्तित्व अनुभव कर लिया जाता है। इस अर्थ में कहा जा सकता है कि तत्त्वमीमांसक और रहस्यवादी एक ही उद्देश्य की ओर बढ़ते हैं जब कि तत्त्वमीमांसक बौद्धिक चिन्तन से उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है। रहस्यवादी जो अनुभव करता है तत्त्वमीमासंक उसको बुद्धि के द्वारा विचारता है। यदि रहस्यवादी की पद्धति अनुभव और अन्तर्ज्ञान है तो. तत्त्वमीमासंक की पद्धति केवल विचारणा है। रहस्यवाद मुख्य रूप से व्यावहारिक. (Practical) है जब कि तत्त्वमीमासंक विशेषतया सैद्धान्तिक (Theoritical) है। (2) रहस्यवादी दृष्टिकोण व्यवहारनय की तरफ निषेधात्मक होता है, यह रहस्यवादी के लिए असत्य, निरर्थक होता है। इसके विपरीत तत्त्वमीमासंक द्रव्य का स्वरूप प्रमाण और नय से जानता है और द्रव्य के प्रत्येक पक्ष को सप्तभंगों से जानने के पश्चात् स्याद्वाद के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। (3) रहस्यवादी लोकातीत आत्मा का अनुभव करने के पश्चात् लोकोत्तर शाश्वत संतुष्टि प्राप्त करता है। इसके विपरीत तत्त्वमीमांसक पूरे अस्तित्व को परोक्ष रूप से जानने के पश्चात् केवल बौद्धिक अशाश्वत संतुष्टि प्राप्त करता है। दूसरे शब्दों में, रहस्यवादी प्रत्यक्ष अनुभव रखता है जब कि तत्त्वमीमांसक केवल परोक्ष अनुभव रखता है। (4) रहस्यवादी बौद्धिक अनुभव का विरोधी नहीं है जब कि तत्त्वमीमांसक इसका विरोधी हो सकता है। जैन दर्शन के अनुसार बुद्धि अन्तर्ज्ञान की विरोधी नहीं है केवल अन्तर्ज्ञान विश्लेषणात्मक बुद्धि से ऊपर उठ जाता है। द्रव्य को पूर्णतया जानने में बुद्धि की अशक्तता जीत ली जाती है। जैनदर्शन इस बात को स्वीकार नहीं करता है कि द्रव्य (68) Ethical Doctrines in Jainism जैनधर्म में आचारशास्त्रीय सिद्धान्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004207
Book TitleJain Dharm me Aachar Shastriya Siddhant Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year2011
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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