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महावीर का जीवन और प्रभाव
संक्षेप में महावीर के जीवन पर विचार- “वर्धमान महावीर कुंडग्राम या कुंडपुर में पैदा हुए थे, उनके पिता का नाम सिद्धार्थ था जो ज्ञातृ क्षत्रिय से संबंध रखते थे। उनकी माता त्रिशला थी जो राजा चेटक की पुत्री या बहिन थी। वे वैशाली के शासक थे और लिच्छिवि क्षत्रियों से संबंध रखते थे। इस प्रकार पिता और माता की तरफ से वे शाही क्षत्रिय वंश से संबंधित थे।"28 “पैगम्बर (तीर्थंकर) का वास्तविक नाम 'वर्धमान' था। जबकि देवताओं के द्वारा अधिक प्रसिद्ध नाम ‘महावीर' उनको प्रदान किया गया था। आगम में भी उनके बहुत से महत्त्वपूर्ण उपनाम दिये गए हैं, जैसे- नायपुत्त, नायकुल के वंशज, गोत्र के कारण कासव, जन्मस्थान के कारण वैशालीय और जन्मभूमि के कारण विदेहदिण्ण। पूजनीय तपस्वी महावीर' के रूप में वे बार-बार उल्लिखित किये गये हैं।''29 दिगम्बर परम्परा के अनुसार उन्होंने अपना जीवन ब्रह्मचर्य में व्यतीत किया जबकि श्वेताम्बर परम्परा के अनुसार उन्होंने यशोदा से विवाह किया और वे पुत्री से धन्य हुए जिसका नाम प्रियदर्शना था। राजसी जीवन के होते हुए उन्होंने 30 वर्ष की अवस्था में सांसारिक सुख-साधन त्याग दिया और निर्ग्रन्थ हो गये। 12 वर्ष तक आत्मसंयम का कठोर मार्ग अपनाने के पश्चात् उन्होंने पूर्णता प्राप्त की और वे केवली हुए। “30 वर्ष तक देश के विभिन्न भागों की यात्रा की। महावीर व बुद्ध के विहार या धार्मिक यात्रा ने मगध क्षेत्र को बिहार नाम दिया।"30 “समन्तभद्र ने ई. की द्वितीय शताब्दी में महावीर के तीर्थ को 'सर्वोदय' के नाम से पुकारा। जो शब्द सामान्यतया आजकल गांधीजी 28. History of Jaina Monachism, p. 65 29. The Age of Imperial Unity, p. 413 30. Mahāvīra and his Philosophy of life, p. 3
Ethical Doctrines in Jainism जैनधर्म में आचारशास्त्रीय सिद्धान्त
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