________________
पत्तियों को तोड़ना और निरर्थक फिरना।138 चौथा हिंसादान- हिंसा के उपकरणों को दान देना जैसे- तलवार, धनुष, जहर आदि। 39 कार्तिकेय के अनुसार हिंसक पशुओं का पालना जैसे- बिल्ली आदि और हथियारों का व्यापार करना हिंसादान में सम्मिलित हैं। 140 पाँचवाँ, दुःश्रुति- ऐसी कहानियों को पढ़ना और सुनना जो कषायोत्तेजक होती हैं।41 इसके अतिरिक्त ऐसे साहित्य का अध्ययन करना जो आसक्ति को बढ़ाएँ, कामोत्तेजक वस्तुओं का वर्णन करे और तीव्र कषाय उत्पन्न करनेवाली. वस्तुओं से संबंध रखें- ये सब दुःश्रुति में सम्मिलित हैं।142 वसुनन्दी पाँच
138. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 346
रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 80 सर्वार्थसिद्धि, 7/21 पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 143 सागारधर्मामृत, 6/11
चारित्रसार, पृष्ठ 17 139. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 77
श्रावकप्रज्ञप्ति, 289 पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 144 सागारधर्मामृत, 5/8 सर्वार्थसिद्धि, 7/21
चारित्रसार, पृष्ठ 17 140. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 347 141. सर्वार्थसिद्धि, 7/21
पुरुषार्थसिद्धयुपाय, 145
चारित्रसार, पृष्ठ17 142. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, 79
कार्तिकेयानुप्रेक्षा, 348 सागारधर्मामृत, 5/9
Ethical Doctrines in Jainism
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org