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पुरुष
विधि एवं आज्ञा (ठा) . एकवचन
बहुवचन ठज्जइ
ठज्जइ ठज्ज
ठज्जइ
उत्तम
मध्यम
अन्य
ठज्जइ
ठज्जइ
पुरुष
__ विधि एवं आज्ञा (हो) एकवचन
बहुवचन उत्तम होज्जइ
होज्जइ मध्यम होज्जइ
होज्जइ अन्य होज्जइ
होज्जइ ----------------------------------
------ प्राकृत भाषा में अकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं के वर्तमानकाल के, भविष्यत्काल के एवं विधि एवं आज्ञा के उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष व अन्य पुरुष एकवचन व बहुवचन में विकल्प से 'ज्ज और ज्जा' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़े जाते हैं। ‘ज्ज और ज्जा' प्रत्यय लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' हो जाता है। जैसे(हस+ज्ज, ज्जा) = हसेज्ज, हसेज्जा = (मैं) हँसता हूँ। (व.उ.पु.एक.)
अन्य रूप - हसमि, हसामि, हसेमि (हस+ज्ज, ज्जा) = हसेज्ज, हसेज्जा = (मैं) हतूंगा। (भवि.उ.पु.एक.)
अन्य रूप – हसिहिमि, हसिस्सामि, हसिस्सिमि, हसिहामि, हसिस्सं (हस+ज्ज, ज्जा) = हसेज्ज, हसेज्जा = (मैं) हतूं। (विधि.उ.पु.एक.)
अन्य रूप - हसमु, हसेमु (ठा+ज्ज, ज्जा) = ठाज्ज-ठज्ज, ठाज्जा-ठज्जा = (मैं) ठहरता हूँ/
ठहरती हूँ (व.उ.पु.एक.)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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