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मध्यम पुरुष एकवचन 2/1. 16.(क) प्राकृत भाषा में अकारान्त क्रियाओं में भविष्यत्काल के मध्यम पुरुष
एकवचन में 'हि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के मध्यम पुरुष एकवचन के 'सि और से' प्रत्यय भी जोड़ दिये जाते हैं और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ई' और 'ए' हो जाता है। जैसे(हस+हि+सि, से) =हसिहिसि, हसिहिसे, हसेहिसि, हसेहिसे =
(तुम) हँसोगे /हँसोगी। (भविं.म.पु.एक.)
(ख) प्राकृत भाषा में आकारान्त व ओकारान्त आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल
के मध्यम पुरुष एकवचन में 'हि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के मध्यम पुरुष एकवचन का 'सि' प्रत्यय भी जोड़ दिया जाता है। जैसे(ठा+हि+सि) = ठाहिसि = (तुम) ठहरोगे /ठहरोगी। (भवि.म.पु.एक.) (हो+हि+सि) = होहिसि = (तुम) होओगे /होओगी। (भवि.म.पु.एक.)
(ग) शौरसेनी प्राकृत में अकारान्त क्रियाओं में भविष्यत्काल के मध्यम पुरुष
एकवचन में 'स्सि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के मध्यम पुरुष एकवचन के 'सि और से' प्रत्यय भी जोड़ दिये जाते हैं और क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। जैसे(हस+स्सि+सि, से) = हसिस्सिसि, हसिस्सिसे =
(तुम) हँसोगे/हँसोगी। (भवि.म.पु.एक.)
(घ) शौरसेनी प्राकृत में आकारान्त व ओकारान्त आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल
के मध्यम पुरुष एकवचन में 'स्सि' प्रत्यय क्रियाओं में जोड़ा जाता है, इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के मध्यम पुरुष एकवचन का 'सि' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। जैसे
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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