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(ठा + हिस्सा, हित्था) = ठाहिस्सा, ठाहित्था
( हो + हिस्सा, हित्था) = होहिस्सा, होहित्था =
( हम दोनों / हम सब ) होंगे / होंगी । (भवि. उ. पु. बहु.) अन्य रूप - हसिहिमो, हसेहिमो, हसिहिमु, हसेहिमु, हसिहिम, हसेहिम, हसिस्सामो, हसेस्सामो, हसिस्सामु, हसेस्सामु, हसिस्साम, हसेस्साम, हसिहामो, हसेहामो, हसिहामु, हसेहामु, हसिहाम, हसेहाम
ठाहिमो, ठाहिमु, ठाहिम,
ठास्सामो→ ठस्सामो, ठास्सामु ठस्सामु, ठास्साम→ठस्साम, ठाहामो, ठाहामु, ठाहाम
होहिमो, होहिमु, होहिम, होस्सामो, होस्सामु, होस्साम, होहामो, होहामु, होहाम
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(हम दोनों / हम सब ) ठहरेंगे / ठहरेंगी। (भवि. उ. पु. बहु.)
(घ) शौरसेनी प्राकृत में अंकारान्त, आकारान्त, ओकारान्त आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल के उत्तम पुरुष बहुवचन में 'स्सि' प्रत्यय जोड़ा जाता है और इसको जोड़ने के पश्चात वर्तमानकाल के उत्तम पुरुष बहुवचन के 'मो, मु 'और म' प्रत्यय भी जोड़ दिये जाते हैं और अकारान्त क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। जैसे
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(ठा+स्सि+मी, मु, म) = ठास्सिम ठस्सिम = ( हम
( हस+स्सि+मो, मु, म) = हसिस्सिमो, हसिस्सिमु, हसिस्सिम = (हम दोनों / हम सब ) हँसेंगे / हँसेंगी। (भवि. उ. पु. बहु.) ठास्सिमो ठस्सिमो, ठास्सिमु ठस्सिमु, दोनों / हम सब ) ठहरेंगे / ठहरेंगी। (भवि. उ. पु. बहु.) होस्सिमो, होस्सिमु, होस्सिम
( हो + स्सि+मो, मु, म) =
प्राकृत-हिन्दी- व्याकरण ( भाग - 2 )
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( हम दोनों / हम सब ) होंगे / होंगी । ( भवि. उ. पु. बहु.)
(प्राकृत के नियमानुसार संयुक्ताक्षर के पहिले यदि दीर्घ स्वर तो वह ह्रस्व हो जाता है) ।
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