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उपर अनुच्छेद तीन में प्रयुक्त शब्द but have been used अधिक से अधिक तो वेटिकन चर्च संस्था को और उसके ईशारों पर चलती यूनो संस्था को लागू पड़ते हैं।
उदघोषणा की प्रस्तावना के अनुच्छेद ६ में कहा गया है 'whereas no individual, group or nation can any longer live as an isolated microcosm in our interdependent world, .......... emerging global community.'.
___ यह सत्य तो भारत के महासंतों को युगों पूर्व से समझ में आया ही था। तभी तो उन्होंने जगत को “वसुधैव' कुटुम्बकम्'' नामक सूत्र देकर उस पर चलने का उपदेश दिया। इतना ही नहीं "आत्मवत् सर्व भूतषु'' - स्वंय के समान ही सभी जीवों को मानने का उपदेश देकर जीव मात्र की हिंसा से संपूर्णतया या जितना अधिकाधिक हो सके, निवृत्त होने का आदेश दिया, और उसके उपाय भी बताये। परंतु वेटिकन चर्च के ईशारे पर नाचती युनो संस्था ने भारत के महासंतों के आदेशों/उपदेशों का पालन न हो सके इतनी हद तक, इन आदेशों के पालन में सहायक बनती चार पुरुषार्थ की नींव पर खड़ी आर्य जीवन व्यवस्था को और उसके अंगो को तोड़फोड़ दिया है। 'all must realise' यह realise करने की जरुरत तो युनो और उसके सर्जको को है।
_ 'Emerging Global Community' इसमें 'Emerging' शब्द क्या इंगित करता है ? 'Global Community' के सिद्धांत को तो भारत के संतो ने सदियों से स्वीकारा है। तो यह कौन सी नई वैश्विक कोम्युनिटी उभर रही है ? अस्तित्व में आ रही है ?
प्रस्तावना के अनुच्छेद ७ में कहा गया है: 'Whereas in an interdependent world peace. requires agreement on fundamental ethical values'.
ये मूलभूत नैतिक मूल्य कौन से है ? और वे किसने तय किये हैं ? उनकी जानकारी प्राप्त किये बिना ही विश्वशांति शिखर परिषद में एकत्रित धर्मगुरुओ ने यह उद्घोषणा पत्र तैयार किया होगा ? और उस पर हस्ताक्षर किये होंगे ? क्यां नैतिक मूल्यों को आध्यात्मिक मूल्यों से भी महान माना गया है ? नैतिक मूल्य आध्यात्मिक मूल्यों से ऊँचे हैं या नीचे ? क्या मात्र नैतिक मूल्यों से जगत में वास्तविक विश्व शांति की स्थापना हो सकेगी ? या फिर अध्यात्मवाद की बुनियाद पर खड़े आध्यात्मिक मूल्यों से जगत में वास्तविक शांति की स्थापना होगी ? क्या नैतिक मूल्य अध्यात्मवाद की बुनियाद पर खड़े होंगे ? या फिर भौतिकवाद की बुनियाद पर खड़े होंगे ?
प्रस्तावना के अनुच्छेद ८ में कहा गया है: 'Whereas there can be no real peace until all groups and communities acknowledge the cultural anc religious diversity...'
क्या यह बात युनो को मान्य है ? युनो ने तो विश्व में से रंगभेद खत्म करने का अर्थात अलग अलग रंग की प्रजाओं का भेद मिटाने का प्रस्ताव किया है। और अब वह धर्मभेद खत्म करने का प्रस्ताव रख सके उस दिशा में पहले से निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसंधान में आगे बढ़ रहा है। युनो को अलग अलग रंग की प्रजाओं का और अलग अलग धर्मों का अस्तित्व मान्य नहीं है, यह बात साबित हो सकती है। अगर यह बात साबित हो जाय तो क्या इस परिषद में उपस्थित धर्मगुरु, युनो के नेतृत्व में वास्तविक शांति की स्थापना हो सकती है, ऐसी भ्रमणा से बाहर आयेंगे ?
प्रस्तावना के अनुच्छेद ९ में कहा गया है: 'Whereas building peace requires an attitude of reverence for life, freedom and justice, the eradication of poverty, and the protection of the environment...'
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