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________________ भारत के धर्मगुरुओं को यूनो की ताकत पहचान लेनी चाहिये। यूनो विश्व की महासत्ता के रूप में और जगत के तमाम राष्ट्र उसके मातहत राज्यों के रूप में परिवर्तित होते जा रहे हैं। इसलिये अपने आपको सार्वभौम राष्ट्र मानने की भ्रमणा में रमते देशों को अपने अपने संविधानों में परिवर्तन करके भी यूनो के आदेशों का पालन करना पड़ता है। मातहत राज्य चक्रवर्ती सम्राट यूनो के आदेशों के अमल का अनादर करने की हिंमत कैसे दिखा सकते हैं ? धर्म क्षेत्र में भी धूंनो महासत्ता के आदेशों का ही पालन करना पड़ेगा। यूनो द्वारा आयोजित विश्वधर्म परिषद में उपस्थित रहकर जगत के धर्मगुरुओं ने बैसी स्वीकृति दे ही दी है। जगत में सच्ची विश्वशांति तभी स्थापित होगी, सच्ची अहिंसा तभी फैलेगी, कृत्रिम गरीबी महंगाईबेकारी भूखमरी हिंसा वगैरह दूषण तभी दूर होंगें जब यूनो तथा उसकी अंग रुप संस्थाओं का जगत से विसर्जन होगा। यूनो नाम के हिंसक बाघ को पिंजरे में बंद करने की चुनौती भारत के धर्मगुरु स्वीकार कर सकेगें ? - समाचार पंजाब में किसानों की आत्महत्या के लिए ट्रैक्टर जिम्मेदार चंडीगढ़। अभी तक ऐसा माना जाता है कि देश में सर्वाधिक समृद्ध पंजाब के किसान हैं। हरितक्रांति के बाद देश में सबसे ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादन करने वाले राज्य के किसान अब आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। कर्जदार बने किसानों के लिए अंतिम मार्ग हरित क्रांति के बाद पंजाब के किसानों ने यांत्रिकरण | पर इस समय ९, ३१४ करोड़ रु. का कर्ज है। को तेजी से स्वीकार किया था और इसी कारण से उनकी कठिनाइयां बढ़ी है। आत्महत्या की घटनाओं की जांच करनेवाली पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी की एक समिति ने भी स्वीकार किया है कि कर्ज न चुका सकने के कारण किसान आत्महत्या का मार्ग अपनाते हैं। राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में हुई आत्महत्या की घटनाओं के लिए किसानों द्वारा ट्रैक्टर • खरीदने के लिए लिया गया कर्ज जिम्मेदार है। पंजाब के अनेक किसान यह कर्ज चुकाने में असमर्थ साबित होते हैं और आत्महत्या करने बाध्य हो जाते हैं। हालांकि, सरकारी अधिकारियों का मानना है कि आत्महत्या करनेवालों की संख्या काफी अधिक है, क्योंकि किसानों द्वारा की गई आत्महत्या की अनेक घटनाएं सरकारी पुस्तिका में दर्ज ही नहीं की जाती। संसद की एक स्थाई समिति को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के किसानों कृषि क्षेत्र से अल्पहिंसक साधनों द्वारा खेती करने की आर्य व्यवस्था टूट जाने से, उनके साधन खींच लेने से बैल-बछड़ों और सांड़ों की अंधाधुंध कत्ल हो जाने से, इसका असर मानव हत्या तक पहुंचा है, ऐसा उपर्युक्त समाचार से प्रतीत होता है। जो आर्य व्यवस्थाएं हिंसा के प्रचंड बाढ़ के मार्ग में अभेद्य दीवार बन कर खड़ी थी, उस आर्य व्यवस्थाओं पर आक्रमणों को मार कर हटाने के उपाय करने की निष्क्रियता ने अपने अभेद्य दिवारों को भेद दिया और इस आर्य देश में हिंसा की बाढ़ चारों तरफ आ गई। 'हिंसा बढ़ी है।' ऐसा शोर भी हिंसा की बाढ़ को रोक नहीं सका, उसे रोकने के लिए आर्य जीवन व्यवस्था की अल्प अहिंसक सुव्यस्थाओं की रक्षा करनी पड़ेगी, रक्षा करने के उपायों को खोजना पड़ेगा, धन का प्रवाह इस दिशा में मोड़ना पड़ेगा। Jain Education International - संगरूर जिला में लगभग एक हजार किसानो ने कर्ज नहीं चुका सकने के कारण आत्महत्या कर ली। हालांकि, राज्य सरकार ने आत्म करनेवाले किसानों के परिवार के लोगों को एक-एक लाख रू. का मुआवजा देने की । घोषणा की है। (दिव्य भास्कर ता. २५-१०-२००४) समीक्षा अल्पहिंसक आर्य व्यवस्थाएं और उसके साधनों की रक्षा के वास्ते प्रयास के प्रति तिरस्कार की दृष्टि से देखने वाले जब भयंकर हिंसक अनार्य व्यवस्थाएं और उनके साधनों को प्रेमपूर्वक गले लगाते हैं तो आश्चर्य होता है। पशु आधारित वाहन व्यवहार व्यवस्था और उसके पशुरूपी साधनों की रक्षा के लिए प्रयासों को तिरस्कार कर तोडनेवाले जब अनार्य व्यवस्था द्वारा उत्पन्न बैंक आफ पटियाला के एक अधिकारी ने बताया की बैंक का लोन चुकाने में लोगों को काफी कठिनाई हो रही है। नए माडल की महंगीकार के काफिलों का आनंद लेते हैं तब उनके दंभ का पता चलता है। अल्पहिंसक ऐसी आर्य व्सवस्था की रक्षा के उपदेश में • हिंसा का आरोपण करने के उपदेशक जब अनार्य जीवन व्यवस्था के महाहिंसक साधनों को अपने अनुष्ठानों में प्रेमपूर्वक स्थान देते है, वैसे साधन अर्थात हिंसा की धर्म की भावना का अंग मानते हैं, तब आश्चर्य की अवधि उत्पन्न होती है। खुल्लमखुल्ला इतना दंभ! उदाहरणार्थ- धार्मिक अनुष्ठानों का आमंत्रण देनेवाली वर्तमान की एक एक आमंत्रण पत्रिका घोर हिंसा की अनार्य व्यवस्था की अनात्मवाद की पोषक पत्रिका है, हिंसा का साधन है। अल्प अहिंसक आर्यजीवन व्यवस्था और उसके साधनों को नष्ट करके उसकी जगह पर हिंसक अनार्य जीवन-व्यवस्था और उसके साधनो की स्थापना इस जीवन व्यवस्था को संसार में फैलानेवाले बलों को इष्ट है, परंतु उनके ऐसे प्रयासों में जब आर्य जीवनव्यवस्था के रक्षक बल जुड़ते है, उनका सहयोग करते हैं या तो वैसे साधनों की अथवा उन्हें जन्म देनेवाली व्यवस्था के सामने बाधा डालने की उपेक्षा करते हैं अथवा उन्हें हर्षपूर्वक अपनाते हैं, तब वेदना की चीख उठती है। सशक्त और अधिकृत रक्षक बलों द्वारा होती उपेक्षा को अनन्त संसार भ्रमण का कारण बताया है। (27) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004203
Book TitleMananiya Lekho ka Sankalan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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