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धार्मिक वैश्विकरण के पहले चरण की शुरुआत
जगत के धर्माचार्य यूनो की शरण में ता. २८ अगस्त सन् २००० से चार दिन तक यूनाईटेड नेशन्स के तत्वावधान में विश्वधर्म परिषद का आयोजन हुआ था।
सच्ची अहिंसा के पालन करने और करवाने के द्वारा विश्वभर के मानवों को सच्ची अहिंसा के यथासंभव पालन की तरफ पथ प्रदर्शित करते हुए जगत में सच्ची अहिंसा के संदेश को फैलाने की
और उसके माध्यम से सच्ची विश्वशांति फैलाने की और उसे टिकाये रखने की जो जोखमदारी और जिम्मेदारी आर्य महासंतों ने उनके प्रतिनिधि स्वरुप भारत के धर्मगुरुओं - संतों पर रखी है, उस जोखमदारी और जिम्मेदारी को यूनो (पढ़िये - वेटिकन) द्वारा आयोजित विश्वधर्म परिषद में भाग लेकर और यूनो अर्थात् वेटिकन चर्च के द्वारा तैयार किये गये निवेदन पर अपने हस्ताक्षर करके भारत के कई धर्मगुरु यूनो के चरणों में भेंट चढ़ा आये और वे अब महासंतों द्वारा उनके उपर रखे गये विश्वास से - जिम्मेदारी से मुक्त हो गये! __अब यूनो नाम का हिंसक बाघ टीके-तिलक करके, धर्मगुरु का स्वांग रचाकर जगत में एसी अहिंसा का प्रचार करेगा और एसी विश्वशांति की स्थापना का प्रयास करेगा जिसके अंतर्गत जगत के सभी धर्मों का यूनो में केन्द्रीकरण होकर धर्मों का वैश्विकरण होगा; अर्थात् वेटिकन चर्च द्वारा प्रेरित एक ही धर्म जगत में फैलेगा। उसी . तरह एक रंग की प्रजा के अलावा अन्य तमाम रंगों की प्रजाओं का अस्तित्व भी खतरे में पड़ेगा - उनका भी वैश्विकरण होगा।
यूनो तथा उसके भिन्न-भिन्न अंगों जैसे कि फाओ, यूनिसेफ, हू, केयर, विश्व बैंक वगैरह द्वारा संपूर्ण जगत के मानवों के जीवन के अलग अलग पहलूओं का वैश्विकरण करके उन पहलूओं पर वेटिकन चर्च की सत्ता स्थापित कर लेने के सफल प्रयासों के बाद अब जगत के मानवों के धर्मों - धार्मिक जीवन का वैश्विकरण करने के लिये वेटिकन चर्च यूनो संस्था के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। वेटिकन चर्च जगत के अन्य तमाम धर्मों के नाश के लिये स्वयं तो मैदान में नहीं आ सकता, इसलिये उसकी कठपुतली समान यूनो संस्था को वह कार्य सिद्धि के लिये मैदान में उतार रहा है और भारत के भोलेभाले धर्मगुरु उस बाघ के मुँह में अपना सिर डालने के लिये खुशीखुशी दौड़े चले जाते हैं। ___ पश्चिमी यूरोपीय सत्ताओं के राज्यकर्ताओं के हाथों में खेलती यूनो संस्था ने उसके अलग अलग अंगों के द्वारा जगत में भूखमरी फैलाई है, बेकारी फैलाई है, हिंसा का तांडव रचा है, महंगाई और गरीबी फैलाई है, युद्ध कराये हैं, पर्यावरण का नाश किया है। यह संस्था अब किस मुंह से जगत में शांति की स्थापना करने, अहिंसा का संदेश फैलाने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिये आगे आयी है ? ... .....
जगत में सच्ची अहिंसा फैलाने का, सच्ची विश्वशांति की स्थापना करने का कार्य भारत के धर्मगुरु वर्ग का है यूनो को उनके कार्यक्षत्र में हस्तक्षेप करने को क्यों दौड़ आना चाहिये ? यदि उनकी नीयत सही हो तो यूनो को भारत के धर्मगुरुओं की शरण में यह कार्य करने के लिये समर्पित हो जाना चाहिये। भारत के धर्मगुरुओं को अपने चरणों में नहीं झुकाना चाहिये।
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