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(१७) सन् १९४६ में संविधान सभा की स्थापना कर नया संविधान बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत भी इस
योजना के भाग रूप थी। (१८) १५ अगस्त, १९४७ के दिन भारत के दो टुकड़े कर, दी गई कथित आझादी, जो वास्तव में तो मात्र
'सत्ता का हस्तांतरण' था, यह भी उस योजना का भाग ही था। (१९) अनात्मवाद और भौतिकवाद के आदर्शों पर निर्मित नया संविधान जो कि चार पुरुषार्थ के आदर्श पर
निर्मित ऋषिमुनिओं के संविधान को रद् करने वाला था, इस देश .१९५० में अपनाया, वह भी उस योजना के भाग स्वरूप था।
उसी तरह भारतीय प्रजा के प्रत्येक अंग में परिवर्तन की क्रमबद्ध योजनायें भी वेटिकन की सत्ता स्थापित करने की योजना के भाग स्वरूप थी। उसके बीज अकबर बादशाह के समय बोये गये थे और इसीलिए इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों में अकबर बादशाह को "अकबर द ग्रेट'' कहकर प्रतिष्ठित किया गया है।
उदाहरण के लिए :(१) धार्मिक क्षेत्र में - (अ) 'दीन-ए-इलाही' धर्म की स्थापना भी उस योजना का एक भाग था। (आ) १८९२ की शिकागो धर्म-परिषद भी उस योजना का भाग था। (२) आर्थिक क्षेत्र में - (अ) टोडरमल द्वारा जमीन को नापना और जमीनों के पट्टे बनाना भी उप योजना के भाग रूप था। (आ) भारत के शराफों के विरुद्ध प्रचार यह भी उस योजना के अंतर्गत था। (३) सामाजिक क्षेत्र में - (अ) सामाजिक रिवाजों के विरुद्ध अंग्रेजी पढ़े हुए देशी विद्वानों द्वारा तिरस्कारयुक्त प्रचार भी उस योजना के
अंतर्गत निहित था। (आ) हरिजन मंदिर प्रवेश का कानून भी उस योजना में समाहित था। (४) राजकीय क्षेत्र में - (अ) राजाओं और राजकुमारों के आसपास युरोपियनों की घेराबंदी, यह भी उस योजना का भाग था। (आ) राजाओं के साथ कूट संधियाँ भी उस योजना के भाग रूप थी।
यह एक सामान्य संक्षिप्त रूपरेखा है। प्रत्येक मुद्दे को विस्तारित कर सकते हैं । इस तरीके से वेटिकन की सत्ता स्थापित करने की व्यवहारिक व्यवस्था के लिए भारत में पुर्तगाल से प्राप्त अधिकार के तहत संस्थान की स्थापना ब्रिटेन ने की।
और आज भी ईंग्लेंड भारत को दरियापार का डोमिनियन (Dominion) मानता है। (Dominion) अर्थात ईंग्लेंड की रानी के कब्जे तले का दरियापार का प्रदेश।
और जब तक युनो की धुसरी भारतीय प्रजा के समग्र जीवन पर न स्थापित हो जाय तब तक भारत डोमिनियन (Dominion) के रूप में परतंत्र ही है। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने खिंची हुई रेखा की मर्यादा में ही हम स्वतंत्र है। उस रेखा के बाहर न जाने के लिये बंधे हुए है। उतने परतंत्र है। उसकी रूपरेखा भारत का नया संविधान है।
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