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भारतीय प्रजा की स्वतंत्रता या परतंत्रता?
भ्रम तोड़ो, सत्य पहचानो! प्रजा के अलावा बहुत से भारतीय विद्वान भी ऐसा ही समझते हैं कि, १) अंग्रेज भारत में व्यापार करने और राज्य करने के लिये आये थे। २) 'भारत छोड़ो' के आंदोलन से घबरा कर अंग्रेज यहाँ से चले गये थे। ३) भारत को स्वराज्य मिला है।
उपरोक्त समझ के अलावा भी बहुत सी ऐसी धारणाएँ केवल भ्रमणा हैं।
न तो अंग्रेज भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से व्यापार करने ही आये थे; न ही राज्य करन ही आये थे; बल्कि वे तो ईसा मसीह की आज्ञाओं के विरुद्ध जाकर वेटिकन चर्च द्वारा संपूर्ण विश्व के प्राकृतिक पदार्थों सहित सभी सचराचर पदार्थों पर स्वंयभू मानी हुई मालिकी को व्यवहारिक स्वरूप देने आये थे। भारतीय प्रजा के समग्र जीवन को वेटिकन चर्च की आज्ञा तले लाने के लिए आये थे और क्रमबद्ध तरीके से उस योजना का अमल हो ऐसी व्यवस्था करने आये थे। अंग्रेजों को यह अधिकार पुर्तगाल की तरफ से मिला था और पुर्तगाल को ऐसा अधिकार वेटिकन चर्च द्वारा १४९३ में जारी किये गये दस्तावेज द्वारा मिला था।
तदनुसार; (१), सन् १४९८ में वास्को डी गामा का भारत में आना, उस योजना के भाग स्वरूप था। (२) सन् १६०० में ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत आना, यह भी उस योजना का भाग था। (३) सन् १७५७ में सिराजुद्दौला को हरा कर कंपनी राज्य की स्थापना, यह भी उस योजना का भाग था। (४) सन् १८५७ का विद्रोह भी उस योजना का भाग था। (५) सन् १८५८ में ईस्ट इंडिया कंपनी का ब्रिटिश पार्लियामेंट में विसर्जन, यह भी उस योजना का भाग था। (६) धर्मों में हस्तक्षेप नहीं करने का ब्रिटिश सरकार का आश्वासन भी उस योजना का भाग था। (७) सन् १८५८ के बाद किये गये रचनात्मक कार्यों में, अंग्रेजी शिक्षा देनेवाली युनिवर्सिटीओं की स्थापना
भी उस योजना का भाग था। (८) सन् १८८० में चुनाव का कानून, यह भी उस योजना का भाग था। (९) सन् १८८५ में मी. ह्युम द्वारा कांग्रेस की स्थापना भी उस योजना का भाग था। (१०) कांग्रेस की जनमानस में प्रतिष्ठा खड़ी करने के लिए होने वाले आयोजन भी उस योजना के भाग थे। (११) सन् १९११ में पंचम जॉर्ज का भारत में राज्यारोहण का प्रसंग, यह भी उस योजना का भाग था। (१२) सन् १९१४-१५ में मोहनदास करमचंद गांधी को दक्षिण अफ्रिका से भारत लाना. उन्हे कांग्रेस की
- सत्ता सौंपना व उन्हे "महात्मा गांधी'' बनाना उसी योजना का भाग थ। (१३) सन् १९१९ में फेडरल सरकार की रचना के बीज बोये गये, यह भी उस योजना का भाग था। (१४) सन् १९३५ का 'गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट', यह भी ब्रिटिश योजना का आगे का कदम था। (१५) सन् १९४२ का 'भारत छोड़ो' आंदोलन भी इस योजना का भाग था। (१६) सन् १९४६ में भारत को युनो का सदस्य बनाना, यह भी इस योजना का भाग था। उसके पहले 'कोमनवेल्थ' का सदस्यत्व भी इस योजना के अंतर्गत कंदम था।
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