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________________ (हिन्दी अनुवाद : भारत के संविधान से) प्रजा के नाम से (We, the people of India) यह संकल्प लिया गया है और २६ नवंबर १९४९ को संविधान अंगीकार किया गया है। एसे किसी स्थान या तिथि की कोई जानकारी नहीं है जब भारत की प्रजा या उसके निर्विवाद रूप से निर्वाचित प्रतिनिधि एकत्र हुए हों और उपरोक्त प्रकार से संविधान के मार्ग से जीवन जीया जाय एसा निर्णय लिया हो। . हाँ, बिटिश सरकार ने ही इस घटना को जन्म दिया है जिसके परिणाम स्वरूप यह संविधान बना और उस पर अमल शुरू हुआ और संविधान पूरी प्रजा की भागीदारी से, प्रजा के नाम से हुआ एसा भी कहा जाता है। ' सामान्य तरह से जिन्हे विधिपूर्वक कहा जा सके एसे चुनाव तो सर्वप्रथम बार १९५२ में हुए। उसमें भी मताधिकार प्राप्त लोगों में से बहुत कम ने मतदान किया था। तो फिर १९४९ में (या १९४६ से ही जब संविधान सभा गठित हुई और संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरु हुई) सभी प्रजाजनों का विधिवत प्रतिनिधित्व कैसे मान लिया जाय? यह तो संविधान के अंगीकार करने की बार हुई। संविधान की रचना में भी समस्त प्रजा का प्रतिनिधित्व कहाँ था? आज भी जिसे प्रतिनिधित्व कहा जाता है वह भी न्यायसर है क्या? यह प्रश्न भी बिलकुल अलग ही है। प्रजा के विधिवत प्रतिनिधि -- आगेवान, धर्मगुरू वर्ग, महाजन के अग्रणी, राजा, सामाजिक अग्रणी, आर्थिक/व्यावसायिक अग्रणी- यह वर्ग ही अलग है। इन्हे दूर रखने के लिये, एक ईसाई पादरी द्वारा स्थापित कोंग्रेस नाम की संस्था के हाथ में सत्ता सोंपने के लिये एक अन्य तरह से प्रतिनिधि प्राप्त करके संविधान की रचना विदेशियों ने करवा ली है; यही सत्य हकीकत है। तो फिर, हिन्दू प्रजा को इस संविधान से न्याय की दृष्टि से क्या लेना-देना? परंतु हिन्दुस्तान की प्रजा का तथाकथित शिक्षित वर्ग इस भ्रम से बाहर नहीं निकल पाया है। इस स्थिति में हिन्दू प्रजा के इस देश में उसके ही मूलभूत हितों की रक्षा की उम्मीद कैसे की जाये? यह एक विकट प्रश्न है। विशाल और बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा की अपने ही देश में जब यह स्थिति है तो अन्य अश्वेत प्रजाओं की उनके देश में विदेशियों ने क्या स्थिति रखी होगी? चर्च संस्था के मार्गदर्शन में तद् तद् देश की अश्वेत प्रजा के लिये श्वेत प्रजा ने जो फंदे बनाये हैं, उन्हे गले में डाल कर सभी को घूमना पड़ता है। मोहक शब्दों- स्वराज्य, स्वतंत्रता, लोकतंत्र- के मात्र गीत गाने के अलावा और क्या होता है ? और श्वेत प्रजाजन भी इस तरह के स्वराज्य, स्वतंत्रता और लोकतंत्र की स्थापना होने पर प्रसन्न होने का नाटक करने के अलावा क्या करते हैं ? नये संविधान की रचना के लिये ब्रिटिशरों ने १९३५ का गवर्नमेन्ट ऑफ इंडिया एक्ट तैयार रखा था। तदुपरांत पिछले ४५० वर्षों में एकत्र की गयी जानकारियां भी तैयार रखी थीं। अमरीका, आयरलैंड वगैरह के संविधान तैयार रखे थे। अन्य कई योजनाओं तथा ब्रिटन के "इंडिया ऑफिस'ने तैयार किये कई विषयों पर कानूनों के कच्चे प्रारूप भी तैयार रखे थे। तदुपरांत भारत में ब्रिटिश हुकूमत के सरकारी दफतरों में भविष्य की योजनाओं के अनुरूप प्रारुप भी तैयार रखे गये थे। इन सभी के आधार पर ही लोह-षकट (Steel-Frame) में बंधी राज्य-व्यवस्था कोंग्रेस के नेता चलाते आये हैं, चला रहे हैं। इसके अलावा और क्या है? सारी सलाह बाहर (विदेशों) से ली जाती है। उल्लेखनीय है कि कर-व्यवस्था के निर्माण के लिये मि. काल्डोर एक वर्ष भारत में रूके थे। Jain Education International (10) For Perschal Favate Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004203
Book TitleMananiya Lekho ka Sankalan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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