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________________ का भरणपोषण करने की भी उसमें क्षमता है। प्रश्न न्यायी वितरण व्यवस्था का है, जो अन्यायिओं के हाथ में है - जो करोड़ों टन अनाज दरिया में फेंक देते हैं, दूध के उत्पादन के नियंत्रण के लिए लाखों गायों की हत्या करते हैं, अनाज गोदामों मे सड़े और गरीब भूखों गरें एसी स्थिति बनाते हैं । गोरों की इस चाल में खतरा था भारत की राजाशाही व्यवस्था का । इसलिए स्वतंत्रता के बाद सभी देशी राजाओं को भारतीय गणतंत्र में शामिल कर लिया गया। दुर्भाग्य से सरदार पटेल जैसे बुद्धिशाली व्यक्ति इस चाल को नहीं समझ पाये और देशी राजाओं के विलीनीकरण का यह भगीरथ कार्य अपने हाथों से कर गये। पहले राजाओं को उनके निर्वाह के लिए वार्षिक 'प्रिवीपर्स' दिया गया और फिर विश्वासघात करके प्रजातंत्र और संसद की सर्वोपरिता का बहाना बनाकर वह प्रिवीपर्स भी छीन लिया। कौन था इसके पीछे ? यदि यह खर्च बोझ था तो फिर आज के नये राजाओं के पीछे जो खर्च होता है, वह क्या कम हैं ? किंतु ये नये राजा तो चूंकि 'उनका' राज्य चलाते हैं इसलिये यह खर्च जायज है ! भूख और गरीबी से विनाश और सांस्कृतिक रुप से अधःपतन, ये दोनों मिलकर आने वाले दशकों, शतकों में स्थानीय प्रजा का पूर्ण विनाश करेंगें और बचे-खुचे लोग रेड-इंडियन्स' की तरह देश के किसी कोने में जीवन बितायेगें । अब एक धर्म - ईसाई धर्म की बात । शूद्रों के धर्मांतर से चला यह सिलसिला गुढ़ रुप से किंतु बड़े पैमाने पर आज - भी चल रहा है। श्री अरुण शौरी की पुस्तक मिशनरीस इन इंडिया' पढ़ने पर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दलित ईसाईयोंने आरक्षण की मांग की है और कठपुतली की तरह नाचती यह सरकार एसा आरक्षण मान भी लेगी। आरक्षण की सुविधा के लालच से और ज्यादा लोग ईसाई बनेंगे और इस तरह से क्रम चलता रहेगा। धर्मांतर औपचारिक रुप से नहीं करनेवाला वर्ग भी अपने दैनिक जीवन, पहनावे, रीति-रिवाज, सोचने का ढंग, व्यवसाय, सामाजिक जीवन वगैरह में हिन्दू या वैदिक संस्कृति से मीलों दूर जाकर ईसाई संस्कृति के नजदीक आ गया है । मस्तक और छाती पर चाहे वह क्रॉस न बनाता हो, अभी भी राम व शिव या शक्ति के मंदिर में जाता हो, वैचारिक रुप से तो वह ईसाई संस्कृति से करीब करीब एकरुप हो ही गया है। इस सारे षढयंत्र के चलते आज देश की उन्नति, प्रजा की अवनति; खेती की उन्नति, किसान की अवनति; उद्योगों की उन्नति, मजदूर की अवनति; शिक्षा की उन्नति, विद्यार्थी की अवनति, वगैरह वगैरह देखने को मिलती है. 1 एक बात और गौर करने लायक है। वह है भारत के लिए काश्मीर का प्रश्न । पड़ोसी देशों से सफल टक्कर लें सकने की क्षमता वाले देश में क्या इतनी क्षमता नहीं कि वह इस प्रश्न को सुलझा ले ? किंतु गोरी सत्तायें नहीं चाहती कि यह प्रश्न सुलझे, इसलिए कठपुतलियों की एसी रस्सी खींची जा रही है कि यह प्रश्न ज्यों का त्यों बना रहे । सही रहस्य यह है कि 'गेग प्लान' के मुताबिक काश्मीर न भारत को देना है न पाकिस्तान को । वहाँ की आबोहवा यूरोप की आबोहवा के समान होने रो वह भविष्य में भारत की राजधानी बनाने के लिए सुरक्षित रखा गया है। वह राजधानी बनेगा गोरों की संपूर्ण सत्ता भारत में होने के बाद । काश्मीर के Annexation का दस्तावेज खो गया है । क्यों, कैसे ? - यही कारण है कि आम भारतीय काश्मीर में जमीन, मकान नहीं खरीद सकता, उद्योग या व्यवसाय नहीं लगा सकता, और तो और संविधान के कई हिस्से और भारत के कई कानून काश्मीर में लागू नहीं होते। यह कैसा सार्वभौमत्व है और कैसे काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है ? षढयंत्र की यह परंपरा काफी लम्बी है। कई पहलू हैं, कई गुप्ततायें हैं, कई धक्के महसूस होने हैं और शायद इसीलिये जरुरी है - नई आजादी की, सच्ची आजादी की, "यदा यदा ही धर्मस्य..." का वादा करनेवाले चक्रधारी को अपना वादा याद दिलाने की । ॥ महाजनम् ॥ : ४०३, विनीता, सिद्धाचल बाटिका, रामनगर, साबरमती, अहमदाबाद ३८०००५ टे.नं. ७५०००७३, ७५०६१५६ विनियोग परिवार: बी-२/१०४, वैभव, जांबली गली, बोरीवली (पश्चिम), मुंबई- ४०००९२ टे. नं. : ८०७७७८१ टेली फेकस : ८०२०७४९ ॥ महाजनम् ॥ ५१०, प्रसाद चेम्बर्स, ओपेरा हाउस, मुंबई ४. टे.नं. ३६८५२२०, ३६१९७४१ टेली फेकस : ३६७७४०९ ॥ महाजनम् ॥ २-५ ४हर्शन इलेट, भेय. 3. डोबेरी जाम, आश्रम रोड, अमावाह १: ८५५४१-४२ ।। महाजनम् ।। : १५८४, भनसुजलाईनी घोण, शान पासे, डासुपुर अमावाह- १ टे. २ : २१४१८१८ ३८२७३७ Jain Education International (8) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004203
Book TitleMananiya Lekho ka Sankalan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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