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चोर को दिया जाने वाला दण्ड ।
१२९ ************************************************************* है। लोहे की गर्म शलाकाएं या सुइयें उनके शरीर में चुभाई जाती हैं। उनके शरीर को छिला जाता है
और ऊपर से नमक-मिर्च आदि लगा कर जलन उत्पन्न की जाती है। इस प्रकार सैकड़ों प्रकार की यातनाएं दी जा कर पीड़ित किया जाता है। उनकी छाती पर काष्ठ का भारी बोझ रख कर दबाया जाता है और घसीटा जाता है, जिससे उनकी हड्डी-पसली टूट जाती है। किसी के गले में या गुदा में लोहदण्ड फंसा दिया जाता है, जिससे उसके अंग मथित हो कर दारुण दुःख होता है। अंग चूर-चूर हो जाते हैं। कोई अधिकारी तो बिना अपराध के ही कैरी बन कर यमराज के समान दुःखदायक हो जाता है। कराधिकारी और उनके सेवक, उन दुर्भागी चोरों को थप्पड़, रस्सी, लोहकुसी, चाबुक आदि साधनों से प्रहार करते हैं। इससे उन अभागों की चमड़ी लटक जाती है, घाव हो जाते हैं, इससे उन्हें तीव्र वेदना होती है और वे अपने चौर्यकर्म को कोसते हैं। वे बड़े ही दीन हो जाते हैं। किसी चोर को लोहे के घन से मार कर अंग तोड़-मरोड़ देते हैं, संकुचित कर देते हैं। कभी-कभी चोर की लघुनीत बड़ीनीत रोक देते हैं और मुंह से बोलना तक बन्द कर देते हैं। यों अनेक प्रकार की यंत्रणाएं वे चोरी करने वाले तस्कर लोग भुगतते हैं।
चोर को दिया जाने वाला दण्ड - अदंतिंदिया वसट्टा बहुमोहमोहिया परधणम्मिलुद्धा फासिंदियविसय-तिब्बगिद्धा इत्थिगयरूवसहरसगंधइट्ठरइमहिय भोगतण्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे णरगणा, पुणरवि ते कम्मदुवियद्धा उवणीया रायकिंकराण तेसिं वसहत्थगपाढयाणं विलउलीकारगाणं लंचसयगेण्हगाणं कूडकवडमाया-णियडि-आयरणपणिहिवंचण. विसारयाणं बहुविहअलियसयजंपगाणं परलोय-परम्मुहाणं णिरयगइगामियाणं तेहिं
आणक्तजीयदंडा तुरियं उग्घाडिया पुरवरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापहपहेसु वेत-दंड-लउड-कट्ठलेट्ट-पत्थर-पणालिपणोल्लिमुट्ठि-लया पायपण्हि जाणु-कोप्पर-पहारसंभग्ग-महियगत्ता।
शब्दार्थ - अदंतिंदिया - जिनकी इन्द्रियाँ वश में नहीं है, वसट्टा - वशाल-जो विषयों के आधीन हैं, विषयों से पीड़ित हैं, बहुमोहमोहिया - जो महामोह से मोहित है, परधणम्मिलुद्धा - जो दूसरों के धन में लुब्ध हैं, फासिंदियविसय - स्पर्शनेन्द्रिय के विषय में, तिव्वगिद्धा - अत्यन्त गृद्ध हैं, इत्थिगयरूवसहरसगंध - स्त्री के रूप शब्द रस और गंध में, इट्ठरइमहिय - रति-संभोग में अत्यन्त प्रीति रखने वाले, भोगतण्हाइया - भोग की तृष्णा वाले, धणतोसगा - धन प्राप्त होने पर तुष्ट होने वाले, गहिया - पकड़े जाते हैं, णरगणा - मनुष्यगण-चोर लोग, पुणरवि - फिर भी वे, कम्मदुव्वियद्धा - पाप क्रिया से उत्पन्न फल से अनभिज्ञ, उवणीया - पहुँचाये हुए, रायकिंकराण - राज्य-कर्मचारियों द्वारा,
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