________________
पाप का परामर्श देने वाले *******************************************
वागुराणं, तित्तिर-वट्टग-लावगे य कविंजल-कवोयगे य साहिति साउणिणं, झसमगर-कच्छभे य साहिति मच्छियाणं, संखंकेखुल्लए य साहिति मगराणं, अयगरगोणसमंडलिदव्वीकरे मउली य साहिति वालवीणं, गोहा सेहग सल्लग-सरडगे य साहिति लुद्धगाणं, गयकुलवाणरकुले य साहिति पासियाणं, सुग-बरहिण-मयणसालकोइल-हंसकूले सारसे य साहिति पोसगाणं, वहबंधजायणं च साहिति गोम्मियाणं, धण-धण्ण-गवेलए य साहिति तक्कराणं, गामागर-णगरपट्टणे य साहिति चारियाणं, पारघाइ य पंथघाइयाओ य साहिति गंठिभेयाणं कयं च चोरियं साहिति णगरगुत्तियाणं। लंछण-णिलंछण-धमण-दूहण-पोसण-वणण-दवण-वाहणाइयाई साहिति बहूणि गोमियाणं, धाउ-मणिसिलप्पवाल-रयणागरे य साहिति आगरीणं, पुष्फविहिं फलविहिं च साहिति मालियाणं, अग्धमहुकोसए य साहिति वणचराणं।
शब्दार्थ - एवमेयं - इस प्रकार, जंपमाणा - बोलते हुए, महिस - भैंस, सूकरे - सूअर, साहितिप्रतिपादन करते हैं-कहते हैं, घायगाणं - घातक, ससय-पसय रोहिए - शशक-खरगोश, प्रशय-मृग, रोहित-मृग विशेष, वागुराणं - व्याधों-घातकों को, तित्तिर - तीतर, वट्टग - बटेर, लावगे - लावक, कविंजल - कपिंजल, कवोयको - कपोत, साउणिणं - शाकुनिक-शिकारी-पारधि, झस-मगरकच्छभे- मछली, मगर, कछुए, मच्छियाणं - मछलियों को, संखंके - शंख और अंक-शीप, खुल्लएक्षुल्लक-कोडियों को, मगराणं - मगर को, अयगर - अजगर, गोणस - गोनस-एक प्रकार का साँप, मंडलि - मंडलाकार गोल पड़ा रहने वाला सांप, दव्वीकरे - दर्वीकर-फणधारी सांफ, मउली - मुकुली-बिना फण वाला साँप, वालवीणं - सपेरे, गोहा - गोह, सेहग - सेहक, सल्लग - शल्यक, सरड़गे - गिरगिट, लुद्धगाणं - लुब्ध को, गयकुल - गजकुल, वाणरकुले - वानरकुल-समूह को, पासियाणं - पाश लगाकर पकड़ने वाले, सुग - शुक-तोता, बरहिण - मयूर, मयणसाल - मदनशाल, कोइल - कोकिल, हंसकूले - हंसों का समूह, सारसे - सारस, पोसगाणं - पोषकों को, वहबंधजायणं - वध बन्धन और यातना देने का, गोम्मियाणं - गुप्तिपाल-अपराधी का निग्रह करने वाला कोतवाल, धण-धण्णगवेलए - धन-धान्य और गाय तथा भेड़ आदि के, तक्कराणं - तस्करों को, गामा-गर-णगर-पट्टणे - गांव, आकर, नगर और पट्टन, चारियाणं - गुप्तचरों को, पारघाइ - मार्ग के अन्त में पथिकों को मारने का, पंथघाइ - मार्ग के मध्य में पथिकों को मारने का, गंठिभेयाणं - गांठ काट कर लूटने वाले, कयं - किया हुआ, चोरियं - चोरी को, णगरगुत्तियाणं - नगर-रक्षकों को, लंछण - बैल आदि के अंग काटकर चिह्न बनाना, णिलंछण - बैल, घोड़ा आदि को बधिया करना, धमण - भैंस आदि के पेट में वायु भरना, दूहण - दूध निकालना, पोसण - पोषण करना, वणण - बछड़े आदि का परिवर्तन करना, दवण - अग्नि से जलाना-डाम लगाना, वाहणाइयाइं - वाहन में जोड़ना, बहूणि
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org