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पंचदश उद्देशक - पार्श्वस्थ आदि के साथ आहार के आदान-प्रदान का....
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पार्श्वस्थ आदि के साथ आहार के आदान-प्रदान का प्रायश्चित्त
जे भिक्खू पासत्थस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देंतं वा साइजइ॥७९॥
जे भिक्खू पासत्थस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ॥ ८०॥
जे भिक्खू ओसण्णस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देंतं वा साइजइ॥ ८१॥
जे भिक्खू ओसण्णस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छा पडिच्छंतं वा साइजइ॥ ८२॥ - जे भिक्खू कुसीलस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देंतं वा साइजइ॥ ८३॥
जे भिक्खू कुसीलस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्च पडिच्छंतं वा साइजइ॥ ८४॥
जे भिक्खू णितियस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देत वा साइजइ॥ ८५॥.
जे भिक्खू णितियस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छा पडिच्छंतं वा साइज्जइ॥८६॥
जे भिक्खू संसत्तस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देइ देत। वा साइज्जइ॥८७॥
जे भिक्खू संसत्तस्स असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिच्छइ पडिच्छंतं वा साइज्जइ॥ ८८॥
कठिन शब्दार्थ - ओसण्णस्स - अवसन्न, कुसीलस्स - कुशील - कुत्सित आचार युक्त, णितियस्स - नित्यक - प्रतिदिन एक ही घर से अशन-पान आदि प्राप्त करने वाला, संसत्तस्स - संसक्त - आसक्तियुक्त।
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