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निशीथ सूत्र
संचार होता है। गृहस्थों के साथ भी भिक्षु वाणी आदि द्वारा ऐसा व्यवहार न करे जो उनके मन को पीड़ा पहुँचाए। __प्रस्तुत सूत्रों में भिक्षुओं के प्रति कठोर, रोषयुक्त वचन द्वारा या अन्य किसी प्रकार से आशातना करने का प्रायश्चित्त कहा गया है। यह भिक्षु शब्द-स्वगच्छ एवं परगच्छवर्ती सभी भिक्षुओं के लिए प्रयुक्त हुआ है।
. सचित्त आम्र सेवन विषयक प्रायश्चित्त जे भिक्खू सचित्तं अंबं भुंजइ भुजंतं वा साइजइ॥ ५॥ जे भिक्खू सचित्तं अंबं विडंसइ विडंसंतं वा साइजइ॥६॥ .. जे भिक्खू सचित्तपइट्ठियं अंबं भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ॥७॥ जे भिक्खू सचित्तपइट्टियं अंबं विडंसइ विडंसंतं वा साइजइ ॥८॥
जे भिक्खू सचित्तं अंबं वा अंबपे( सियं )सिं वा अंबभि(त्तिं )त्तं वा .. अंबसालगं वा अंबडालगं (अंबडगलं वा) वा अंबचोयगं वा भुंजइ भुजंतं वा साइजइ॥९॥
जे भिक्खू सचित्तं अंबं वा अंबपेसिं वा अंबभित्तं वा अंबसालगं वा अंबडालगं वा (अंबडगलं वा) अंबचोयगं वा विडंसइ विडंसतं वा साइज्जइ॥१०॥
जे भिक्खू सचित्तपइट्ठियं अंबं वा अंबपेसिं वा अंबभित्तं वा अंबसालगं वा अंबडालगं वा (अंबडगलं वा) अंबचोयगं वा भुंजइ भुंजंतं वा साइजइ॥ ११॥
जे भिक्खू सचित्तपइट्ठियं अंबं वा अंबपेसिं वा अंबभित्तं वा अंबसालगं वा अंबडालगं वा (अंबडगलं वा) अंबचोयगं वा विडंसइ विडंसंतं वा साइजइ॥ १२॥
कठिन शब्दार्थ - अंबं - आम्र - आम, भुंजइ - खाता है, विडंसइ - विदशति - चूसता है, सचित्तपइट्ठियं - सचित्त प्रतिष्ठित - सचित्त जल या हरितकाय आदि पर स्थित,
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