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चतुर्दश उद्देशक - अकल्प्य स्थानों में पात्र आतापित-प्रतापित करने का....
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जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सओस्से सउदए सउत्तिंगपणगदगमट्टियमक्कडासंताणगंसि पडिग्गहं आयावेज्ज वा पयावेज वा आयावेंतं वा पयावेंतं वा साइज्जइ॥३९॥
जे भिक्खू थूणंसि वा गिहेलुयंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेंतं वा साइज्जइ॥ ४०॥ ___ जे भिक्खू कुलियंसि वा भिंत्तिंसि वा सिलसि वा लेलुंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंत(रि)लिक्खजायंसि वा दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेंतं वा साइजइ॥ ४१॥
जे भिक्खू खंधंसि वा फलहंसि वा मंचंसि वा मंडवंसि वा मालंसि वा पासायंसि वा हम्मतलंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतलिक्खजायंसि वा दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते आपकंपे चलाचले पडिग्गहं आयावेज वा पयावेज वा आयातं वा पयावेंतं वा साइज्जइ ॥४२॥
कठिन शब्दार्थ - आयावेज - आतापित करे - सुखाए, पयावेज - प्रतापित करे - बार-बार सुखाए।
भावार्थ - ३२. जो भिक्षु सचित्त पृथ्वी के निकटवर्ती अचित्त पृथ्वी पर पात्र को आतापित-प्रतापित करे या आतापित-प्रतापित करने वाले का अनुमोदन करे। .
३३. जो भिक्षु सचित्त जल से आर्द्र पृथ्वी पर पात्र को आतापित-प्रतापित करे अथवा आतापित-प्रतापित करते हुए का अनुमोदन करे।
३४. जो भिक्षु सचित्त रजयुक्त पृथ्वी पर पात्र को आतापित-प्रतापित करे या आतापितप्रतापित करने वाले का अनुमोदन करे।
३५.जो भिक्षु सचित्त मिट्टी आदि से लिप्त पृथ्वी पर पात्र को आतापित-प्रतापित करे या आतापित-प्रतापित करते हुए का अनुमोदन करे।
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