SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नवम उद्देशक - राज्याधिकारी कर्मचारी हेतु कृत आहार ग्रहण...... १९९ T तलवार रखने वालों के घोड़ों को शिक्षित करने वालों के लिए, हत्थिदमगाण - हाथियों को शिक्षित करने वालों के लिए, आसमिंठाण - घोड़ों की देह का मार्जन करने वाले उनके शरीर पर लगे रजकण आदि हटाने वालों के लिए, हत्थिमिंठाण - हाथियों की देह का मार्जन करने वालों के लिए, आसरोहाण - घोड़ों पर सवारी करने वालों के लिए, हत्थिरोहाण - हाथियों पर सवारी करने वालों के लिए, सत्थवाहाण राजा के सचिव आदि अधिकारियों को राज- संदेश पहुँचाने वालों के लिए, संवाहावयाण - राजा आदि के शरीर को दबाने वाले - पगचंपी करने वालों के लिए, अब्भंगावयाण - तेल मालिश करने वालों के लिए, उव्वट्टावयाण उबटन करने वालों के लिए, मज्जावयाण राजा आदि को मज्जन स्नान कराने वालों के लिए, मंडावयाण- मण्डकों के लिए राजा आदि को मुकुट आदि पहनाकर मण्डित करने वालों के लिए, छत्तग्गहाण राजा आदि के निमित्त छत्रधारकों के लिए, चमरग्गहाण वरधारियों के लिए, हडप्पग्गहाण - आभूषणों का पात्र - मंजूषा रखने वालों के लिए, परिट्टयग्गहाण वस्त्र आदि की पेटियाँ रखने वालों के लिए. दीवियग्गहाण - दीवट रखने वालों के लिए, असिग्गहाण - राजादि के लिए खड्ग लिए, धणुग्गहाण धनुष रखने वालों के लिए, सत्तिग्गहाण (त्रिशूल) विशेष रखने वालों के लिए, कोंतग्गहाण - कुन्त- भाले धारण करने वालों के लिए, हत्थियगहाण - हाथियों को लिए चलने वालों के लिए, हत्थिपत्तगहाण - हाथियों के अंकुशधारकों के लिए, वरिसधराण - वर्षधरों के लिए - अन्तःपुर रक्षक कृत्रिम नपुंसकों के लिए, कंचुइज्जाण - कंचुकियों के लिए अन्तःपुर रक्षक जन्मजात नपुंसकों के लिए, दोवारियाण - द्वौवारिकों के लिए अन्तःपुर के द्वारपालों पहरेदारों के लिए, दं (डं ) डारक्खियाण - अन्तःपुर के दण्डधारी रक्षकों के लिए, खुज्जाण - कुब्जाओं के लिए - कुबड़ी दासियों के लिए, चिलाइयाण - किरात देशोत्पन्न दासियों के लिए, वामणी - बौनी दासियों के लिए, वडभीण - वक्रार्धियों के लिए - आधी टेढी देहयुक्त दासियों के लिए, बब्बरीण बर्बर देशोत्पन्न दासियों के लिए, प( पा ) उसीण - बकुश देशोत्पन्न दासियों के लिए, जोणियाण यवन (यूनान) देशोत्पन्न दासियों के लिए, पल्हवियाण - पह्लव देशोत्पन्न दासियों के लिए, ईसणीण - ईसीनिका देशोत्पन्न दासियों के लिए, थारुगिणीण थार देशोत्पन्न दासियों के लिए, लउसीण - लकुश देशोत्पन्न दासियों के लिए, लासीण लास (ल्हास) देशोत्पन्न दासियों के लिए, दमिलीण - द्रविड़ देशोत्पन्न शक्ति नामक शस्त्र Jain Education International - - - - - - - - For Personal & Private Use Only - - - www.jainelibrary.org
SR No.004200
Book TitleNishith Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages466
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy