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निशीथ सूत्र
अच्छे जनों द्वारा अग्राह्या, निंदिता, णिटुरं - निष्ठुर - अश्लील, अस्समणपाओग्गं - अश्रमण प्रायोग्य - साधु द्वारा प्रयोग में न लेने योग्य - न कहने योग्य, कहं - कथा - कामकथा, कहेइ - कहता है, उजाणंसि - उद्यान उपवन में, उजाणगिहंसि - उद्यानग्रह उपवन में निर्मित क्रीड़ा सदन में, उजाणसालंसि - उद्यानशाला - उपवन स्थित धर्मशाला में, णिज्जाणंसि - निर्याण में - निर्गमन (राजा के निकलने या बाहर जाने के रास्ते) में, णिजाणगिहंसि - निर्याणगृह - निर्गमन मार्ग पर निर्मित भवन में, णिज्जाणसालंसि - निर्याणशाला - निर्गमन मार्ग पर निर्मित धर्मशाला में, अटुंसि-अट्टम - ग्राम नगरादि के प्राकार के अधोभाग में, अट्टालयंसि - अट्टालय - प्राकार के किसी भाग में निर्मित अट्टालिका में - भवन विशेष में, चरियसि - चरिका में - प्राकार के अधोभाग से सटे हुए आठ हाथ परिमित मार्ग में, पागारंसि - प्राकार के ऊपर निर्मित मकान में, दारंसि - नगर के द्वार - दरवाजे में, गोपुरंसि - गोपुर - नगर के मुख्य द्वार के अग्रवर्ती द्वार में, दगंसि - उदक - जलाशय में - जलाशय के सन्निकट, दगमग्गंसि - उदकमार्ग में - जलाशय में जल आने के मार्ग पर, दगपहंसि - उदक पथ में - जलाशय से जल लेने हेतु लोगों के आने-जाने क रास्ते पर, दगमलंसि - उदकमल में - कीचड़ युक्त मार्ग पर, दगतीरंसि - उदकतीर में - जलाशय के तट पर, दगठाणंसि - उदक स्थान में - तालाब आदि पर ठहरने हेतु बने मकान में, सुण्णगिहंसि - शून्यगृह - सूने घर में, सुण्णसालंसि - शून्यशाला - सूनी धर्मशाला में, भिण्णगिहंसि - भिन्नगृह - टूटे-फूटे घर में, भिण्णसालंसि - भिन्नशाला - टूटे-फूटी धर्मशाला में, कूडागारंसि - कूटागार में - पर्वत की चोटी पर बने मकान में, कोट्टागारंसि - कोष्ठागार में - चावल, गेहूँ तथा जौ आदि के भण्डार गृह में, तणगिहंसि - तृणगृह में - घास-फूस से बनी झोंपड़ी में, तणसालंसि - तृणशाला में - घास-फूस आदि से बने छप्पर में, तुसगिर्हसि - तुषगृह - चावल आदि का तुष रखने के ढारे में, तुससालंसि- तुषशाला - तुष रखने के मकान में, भुसगिहंसि - भुसगृह में - गेहूँ, जो आदि का भूसा रखने के ढारे में, भुससालंसि - भुसशाला - भूसा रखने के मकान में, जाणसालंसि - यानशाला में - विशाल अश्वशाला (बड़ी घुड़साल) आदि में, जाणगिहंसि - यानगृह में - अश्व आदि रखने की छोटी शाला में, जुग्गसालंसि - युग्यशाला में - गाड़े, रथ आदि रखने की विशाल शाला - वाहनशाला में, जुग्गगिहंसि - युग्यगृह में - गाड़े, रथ आदि रखने की छोटी शाला में, पणियसालंसि - पण्यशाला में - माल - असवाब बेचने के विशाल स्थान में (बड़ी
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