________________
अष्टम उद्देशक - एकाकिनी नारी के साथ आवास आदि विषयक प्रायश्चित्त १६७
भिण्णसालंसि वा कूडागारंसि वा कोट्टागारंसि वा एगो एगीथिए सद्धि विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिढुवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ॥५॥
जे भिक्खू तणगिहंसि वा तणसालंसि वा तुसगिहंसि वा तुससालंसि वा भुसगिहंसि वा भुससालंसि वा एगो एगीथिए सद्धि विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ॥६॥ - जे भिक्खू जाणसालंसि वा जाणगिहंसि वा जुग्गसालंसि वा जुग्गगिर्हसि वा एगो एगीथिए सद्धि विहारं वा करेइ संज्झायं वा करेइ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइजइ॥ ७॥ .
जे भिक्खू पणियसालंसि वा पणियगिहंसि वा परियासालंसि वा परियागिहंसि वा कुवियसालंसि वा कुवियगिहंसि वा एगो एगीथिए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ॥८॥
जे भिक्खू गोणसालंसि वा गोणगिहंसि वा महाकुलंसि वा महागिहंसि वा एगो एगीत्थिए सद्धिं विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारियं मेहुणं अस्समणपाउग्गं कहं कहेइ कहेंतं वा साइज्जइ॥९॥
कठिन शब्दार्थ - एगो - एकाकी - अकेला, एगीथिए - एकाकिनी - अकेली, स्त्री के, सद्धिं - साथ, विहारं - गमनागमन, आवास आदि साहचर्य, अणारियं - अनार्या
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org