________________
सप्तम उद्देशक - वस्त्र निर्माण आदि का प्रायश्चित्त
१५१
बन जाए तो वह अनुमोदन तो कर ही सकता है। कृत, कारित, अनुमोदित की त्रिविध विधि के अन्तर्गत करना, कराना तथा अनुमोदित करना - तीनों समाविष्ट होते हैं। आगमों में त्रिकरणात्मक विधि-निषेधपूर्वक वर्णन की विशेष परंपरा है। इस परंपरा के निर्वाह की दृष्टि से इस कोटि के वर्णन विभिन्न सूत्रों में आते हैं।
वस्त्र निर्माण आदि का प्रायश्चित्त जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए आईणाणि वा आईणपावराणि वा कंबलाणि वा कंबलपावराणि वा कोयरा(वा)णि वा कोयर(व)पावराणि वा कालमियाणि वा णीलमियाणि वा सामाणि वा मि(महासामाणि वा उट्टाणि वा उट्टलेस्साणि वा वग्याणि वा विवग्याणि वा परवंगाणि वा सहिणाणि वा सहिणकल्लाणि, वा खोमाणि वा दुगुल्लाणि वा (तिरीडपट्टाणि वा) पतु(ल्ला)ण्णाणि वा आवरंताणि वा वी(ची)णाणि वा अंसुयाणि वा कणंककंताणि वा कणगखचियाणि वा कणगचित्ताणि वा कणगविचित्ताणि वा आभरणविचित्ताणि वा करेइ करेंतं वा साइजइ॥१०॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए आईणाणि वा जाव आभरणविचित्ताणि वा धरेइ धरतं वा साइजइ॥११॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए आईणाणि वा जाव आभरणविचित्ताणि वा परिभंजइ परिभुजंतं वा साइजइ॥१२॥ . कठिन शब्दार्थ - आईणाणि - आजिन - मृगचर्म के वस्त्र, आईणपावराणि - मृगप्रावरण - मृगचर्म के आच्छादन - ओढने के चद्दर आदि वस्त्र, कंबलाणि - कम्बल - ऊन निर्मित वस्त्र, कंबलपावराणि - कम्बलप्रावरण - ओढने के ऊनी वस्त्र, कोयरा(वाणिकोयर संज्ञक देश में बनने वाले वस्त्रों जैसे कपड़े, कोयर(व)पावराणि - कोयर प्रावरण, कालमियाणि - काले हरिण के चर्म के वस्त्र, णीलमियाणि - नीले हरिण के चर्म के वस्त्र, सामाणि - श्याम - बादल जैसे हल्के नीले हरिण के चर्म के वस्त्र, मि(महासामाणिअतिशय श्याम वर्ण के हरिण के चर्म के वस्त्र, उट्टाणि - ऊँट की चर्म के वस्त्र, उट्टलेस्साणिऊँट के चर्म के प्रावरण, वग्याणि - बाघ के चर्म के वस्त्र, विवग्याणि - विव्याघ्र -
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org