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निशीथ सूत्र
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए हाराणि वा जाव सुवण्णसुत्ताणि वा परिभुंजइ परिभुंजंतं वा साइज्जइ॥९॥
कठिन शब्दार्थ - एगावली - इकलड़ा हार, मुत्तावली - मोतियों का हार, कणगावली - स्वर्ण हार, रयणावली - रत्नों का हार, कडगाणि - कटक - कंगन, तुडियाणि - त्रुटित - हस्ताभरण विशेष, केऊराणि - भुजबंध, पट्टाणि - चार अंगुल का स्वर्णपट्ट, मउड - मुकुट, पलंबसुत्ताणि - गले में पहनने का लम्बा सूत्र, सुवण्णसुत्ताणि - सोने का सूत्र।
भावार्थ - ७. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से हार, अर्द्धहार, इकलड़ा हार, मोतियों का हार, स्वर्णहार, रत्नहार, कटक, हस्ताभरण विशेष, भुजबंध, कुंडल, स्वर्णपट्ट, मुकुट, प्रलम्ब सूत्र या स्वर्ण सूत्र बनाता है अथवा बनाते हुए का अनुमोदन करता है।
८. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से हार, अर्द्धहार, इकलड़ा हार, मोतियों का हार, स्वर्ण हार, रत्न हार, कटक, हस्ताभरण विशेष, भुजबंध, कुंडल, स्वर्णपट्ट, मुकुट, . प्रलम्ब सूत्र या स्वर्णसूत्र धारण करता है अथवा धारण करते हुए का अनुमोदन करता है।
९. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से हार, अर्द्धहार, इकलड़ा हार, मोतियों का हार, स्वर्णहार, रत्नहार, कटक, हस्ताभरण विशेष, भुजबंध, कुंडल, स्वर्णपट्ट, मुकुट, प्रलम्ब सूत्र या स्वर्ण सूत्र परिभोग करता है अथवा परिभोग करते हुए का अनुमोदन - करता है
ऐसा करने वाले भिक्षु को गुरु चौमासी प्रायश्चित्त आता है।
विवेचन - प्राचीनकाल में स्त्रियों की तरह पुरुष भी आभूषण प्रिय होते थे। पुरुषों के अपने विशेष प्रकार के आभरण होते थे। उनमें सुन्दरता के साथ-साथ सुदृढता और परिरक्षणता का भी भाव था। भुजबंध आदि इसके सूचक हैं। इन सूत्रों में जिन आभूषणों का वर्णन आया है, वे उस समय सामान्यतः पुरुषों द्वारा अपने को सुंदर, सुशोभन दिखाने हेतु प्रयोग में लिए जाते थे। इन आभूषणों को धारण करना बाह्य सज्जा का एक विशेष उपक्रम था। ..
साधु के लिए बाह्य सज्जा, शोभा, अलंकृति का कोई महत्त्व नहीं है। वह तो अन्तर्जीवन के परिष्कार, परिशोधन, संशोधन में लगा रहता है। ज्यों ही उसकी दृष्टि बहिर्गामिनी हो जाती है, वह अधः पतित होने लगता है। ऊपर जिन आभरणों का वर्णन आया है, उनका निर्माण करना सामान्य कार्य नहीं है। उनके लिए अनेक साधन और संयोग चाहिए। भिक्षु द्वारा ऐसा किया जा सके, ऐसी कल्पना करना बहुत कठिन प्रतीत होता है, किन्तु यदि ऐसी मानसिकता
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