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सत्तमो उद्देसओ - सप्तम उद्देशक तृण आदि की माला बनाने - धारण करने आदि का प्रायश्चित्त ...
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा मुंजमालियं वा वेतमालियं वा कट्टमालियं वा मयणमालियं वा भिंडमालियं वा पिच्छमालियं वा हड्डमालियं वा दंतमालियं वा संखमालियं वा सिंगमालियं वा पत्तमालियं वा पुप्फमालियं वा फलमालियं वा बीयमालियं वा हरियमालियं वा करेइ करेंतं वा साइज्जइ॥१॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा जाव हरियमालियं वा धरेइ धरेंतं वा साइज्जइ॥२॥ ____ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तणमालियं वा जाव हरियमालियं वा पिण(क)द्धेइ पिणद्धतं वा साइजइ ॥३॥
कठिन शब्दार्थ - तणमालियं - तृण की माला, मुंजमालियं - मूंज की माला, वेतमालियं - वेंत की माला, कट्ठमालियं - काष्ठ की माला, मयणमालियं - मेण (मोम) की माला, भिंडमालियं - भींड की माला, पिच्छमालियं - मोरपिच्छी की माला, हडुमालियंहड्डी की माला, दंतमालियं - दांत की माला, संखमालियं- शंख की माला, सिंगमालियं - सींग की माला, पत्तमालियं- पत्तों की माला, पुष्फमालियं - पुष्पों की माला, फलमालियंफलों की माला, बीयमालियं - बीजों की माला, हरियमालियं - हरित (वनस्पति) की माला, पिणाद्धेइ - पहनता है।
भावार्थ - जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से - तृण की माला, मुंज की माला, वेंत की माला, काष्ठ की माला, मेण (मोम) की माला, भींड की माला, मोरपिच्छी की माला, हड्डी की माला, दांत की माला, शंख की माला, सींग की माला, पत्रों की माला, पुष्पों की माला, फलों की माला, बीजों की माला या हरित (वनस्पति) की माला बनाता है या बनाने वाले का अनुमोदन करता है। . २. जो भिक्षु स्त्री के साथ मैथुन सेवन के संकल्प से तृण की माला यावत् हरित की माला धारण करता है या धारण करने वाले का अनुमोदन करता है।
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